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कमरख की खेती के फायदे और लाभ

Written By Saloni Yadav
Star Fruit Cultivation
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Star Fruit Cultivation : कमरख का पेड़ बहुवर्षीय होता है। यह एक औषधीय फल होता है। इसे स्टार फ्रूट (star fruit ) भी कहा जाता है ,इस फल की आकृति तारो के समान पंचकोणीय होती है। इसकी उचाई 5 से 10 मीटर तक होती है कमरख के पौधे की एक खास बात है की इस पौधे को अधिक गर्मी और धूप मिले तो यह अधिक फूल और फल उगता है। मौसम प्रभाव के कारण उत्तरी भारत में नवंबर और मार्च के महीने में स्टार फ्रूट की अच्छी उपज होती है वही दक्षिण भारत में जनवरी और सितम्बर के महीने में फल आने लगते है। कमरख की शाखाए घनी और सुंदर होती है

कमरख का वानस्पतिक नाम एबेरोवा केरम्बालालिन है। यह ओक्जेलिडेसी कुल का पौधा है ,जिसकी उत्पत्ति भारतीय महाद्वीप के श्रीलंका या हिन्देशिया में हुई थी। यह पौधा ख़ुशबूदार, गूदेदार और रसीले होता है। इसका स्वाद खट्टा और मीठा, दोनों तरह का होता है। दोनों किस्मों का इस्तेमाल दवाईयाँ बनाने में भी होता है। कमरख से चटनी, अचार, जूस और जेम वग़ैरह बनाये जाते हैं। कमरख की खेती से किसानो को पुरे साल पैदावार देती है कमरख से चटनी ,जूस ,अचार और जैम आदि चीजे बनाई जाती है।

विश्व में कमरख की खेती दक्षिणी एशिया, आस्ट्रेलिया और अमेरिका में बारहमास की जाती है। इसके अलावा भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलिपीन्स आदि देशों में भी की जाती है। भारत में कमरख के खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश उड़ीसा, गुजरात, तमिलनाडु आदि राज्यों में की जाती है।

कमरख खाने के फायदे

  • कच्चे कमरख में 91% पानी, 7% कार्बोहाइड्रेट, 1% प्रोटीन है, और बहुत ही कम मात्रा में फैट पाया जाता है।
  • इसमें विटामिन B और C पाया जाता है इसके अलावा इसमें सोडियम ,पोटेशियम और आयरन की मात्रा पाई जाती है।
    इस फल के खाने से शरीर में रोगो की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • इस फल से पेट से जुडी समस्या और कैंसर का खतरा कम होता है इसके साथ हानिकारक बैक्टीरिया को कम करने में मदद करता है।
  • 100 ग्राम कमरख के सेवन से 9.38 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.04 ग्राम प्रोटीन, 0.33 ग्राम लिपिड तथा 2.80 ग्राम खाद्य रेशे की प्राप्ति होती है.
  • इसका उपयोग ओषधियो के निर्माण में किया जाता है गुर्दे की समस्याएं, ज्वर निवारण, पित्त सम्बन्धी समस्याएं,मूत्राशय,पेट फूलने और दस्त आदि रोगों में लाभकारी होता है।
  • इस फल से चटनी, सब्जी ,अचार और खाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

कमरख खाने के नुकसान

 

  • कमरख में कैरमबॉक्सिन और ऑक्सालिक एसिड अम्ल पाया जाता है ,जो किडनी खराब, किडनी स्टोन या किडनी डायलिसिस उपचार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए हानिकारक होता है
  • इस फल को खाने से हिचकी, उल्टी, मतली, मानसिक भ्रम और कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है।

कमरख की खेती कमरख की खेती उपयुक्त जलवायु और तापमान

 

इसकी खेती के लिए उपोष्ण एवं उष्ण कटिबंधीय जलवायु अच्छी होती है इस की खेती में गर्मी के मौसम में अच्छी पैदावार होती है। सर्दियों के मौसम में इस पर गिरने वाले पाले का अधिक असर होता है। इसकी खेती गर्मियों में की जाती है क्योकि गर्मी में इसकी पैदावार अच्छी होती है।

इसकी खेती के लिए मध्यम तापमान होना चाहिए ,कम और ज्यादा तापमान इसकी खेती को नुक्सान पहुंचा सकता है अच्छी पैदावार के लिए इनके पोधो को धूप की जरूरत होती है। इसकी खेती के लिए भरी हवाओ से बचाना चाहिए।

कमरख के खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

 

इसकी खेती के लिए कोई विशिष्ट मिट्टी नहीं होती है। लेकिन जो भी मिट्टी हो उसमे अच्छी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होने चाहिए। और मिट्टी में नमी होनी चाहिए। मिट्टी में PH की मात्रा 5.5-6.5 होनी चाहिए। और मिट्टी भी अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए। इसके लिए पोषक तत्वों से भरपूर जलोढ़ मिट्टी भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है
कमरख का पेड़ लगाया जाय वहां से जल निकास का उचित प्रबंध हो ,उस मिट्टी में इसकी पैदावार अधिक होती है।

कमरख की खेती के लिए सिचाई का प्रयोग

 

कमरख के खेती के लिए पौध रोपाई के बाद सिचाई की जानी चाहिए। वर्षा होने पर इसकी खेती में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। तथा जल भराव की समस्या से बचना चाहिए ,इससे पौधे के विकास में रूकावट आ सकती है। इसकी खेती में सर्दियों में एक महीने में सिचाई करनी चाहिए और गर्मियों में एक सप्ताह में सिचाई करनी चाहिए। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर ही सिचाई करनी चाहिए।

कमरख की उन्नत किस्मे

 

कमरख की कोई विशेष प्रजाति नहीं होती है। इसकी किस्मो का बटवार फलो के स्वाद के आधार पर किया जाता है। कमरख के फल मीठे और खुसबूदार होते है ,इसके फलो का स्वाद खट्टा और मीठा होता है ,इसलिए कमरख की दो किस्मे है खट्टी कमरख और मीठी कमरख पाई जाती है।

कमरख की पौध कैसे तैयार करे ?

 

कमरख की पौध को नर्सरी में तैयार किया जाता है इसको सभी विधियों से तैयार किया जाता है जैसे – भेट कलम ,ढाल कलम ,फोरक्रेट चश्मा और बगली कलम आदि विधि से तैयार किया जाता है। जनवरी में चश्मा और दाब विधि का प्रयोग सबसे अच्छा माना जाता है।

खेत की तैयारी कैसे करे ?

 

खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले उसमे पुरानी फसल की खरपतवार को नष्ट कर देनी चाहिए उसके बाद खेत में 2 से 3 बार जुताई करनी चाहिए। जिससे मिट्टी चिकनी और भुरभुरी हो जाये ,फिर इसके बाद 8 मीटर की दूरी बनाते हुए गड्ढे खोदे और प्रत्येक गड्ढे को 5 किलो का मिट्टी और गोबर की खाद को मिलकर भर दे। पौध लगाने के बाद गड्डो को मिट्टी से भर देना चाहिए।

खेत में पौध रोपाई कैसे करे ?

 

कमरख के पोधो को खोदे गड्डो में वर्षा के समय की शुरुआत में ही इनकी पौधे की रोपाई के जानी चाहिए। रोपाई के समय ही गोबर की खाद को मिट्टी में मिलकर उसको गड्डे में भर देना चाहिए। इसके बाद पौध रोपाई के बाद तुरंत पानी देना चाहिए। इसके साथ पेड़ के चारो ओर मेड बनानी चाहिए जिससे उसमे समय -समय पर पानी डाला जा सके। और साथ ही इसकी सफाई भी करनी चाहिए।

कमरख के फल में पोषक तत्व

 

  • फाइबर (100 ग्राम )
  • कार्बोहाइड्रेट (9.5 ग्राम )
  • रेशा (2.8 ग्राम)
  • पोटेशियम
  • कैल्शियम
  • प्रोटीन
  • विटामिन E
  • लौह
  • ज़िंक
  • शर्करा
  • विटामिन B -6
  • वसा

कमरख की खेत में खाद और उर्वरक का प्रयोग

 

इसकी खेती में रासायनिक और प्राकृतिक खाद का प्रयोग भी कर सकते है। पौध रोपाई के पहले इसमें गोबर की खाद का प्रयोग किया जाता है। कमरख बहुवर्षीय पौधा होता है अगर इसमें 100 KG की खाद का प्रयोग कर लिया जाये तो इसमें किसी अन्य खाद की जरूरत नहीं होती है। अलबत्ता मिट्टी की जांच कर रासायनिक खाद का प्रयोग कर सकते है। खेत में जैविक खाद उर्वरक देना चाहिए ,और जितनी जरूरत हो उतनी ही देनी चाहिए। अधिक मात्रा में उर्वरक मिट्टी को नुकसान पहुंचा सकता है।

खरपतवार नियंत्रण

 

खरपतवार नियंत्रण में सबसे पहले प्राकृतिक तरीके से करनी चाहिए यानी खेत की निराई -गुड़ाई करनी चाहिए। ऐसा करने से पोधो का अधिक विकास होगा और फसल में पैदावार नहीं अधिक होगी।इसके खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक तरीके का प्रयोग भी कर सकते है।

कमरख के फल की तुड़ाई

 

इस फल के पकने पर इसका रंग हरे से पीला हो जाता है। इसके पके फलो को आराम से तोडना चाहिए। ताकि उसे नुकसान नहीं पहुंच सके। तुड़ाई के बाद इसको साफ़ पानी में धो लेना चाहिए ,तथा बाजार में बेच देना चाहिए।

कमरख के खेती में पैदावार

 

कमरख की खेती में प्रति एक वर्ष में लगभग 100 किलो की पैदावार होती है। बाजार में इस फल की मांग अधिक होने के कारण किसान लोग ऐसे अधिक उगते है जिससे उनको अधिक मुनाफा भी प्राप्त होता है।

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About Author

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां 2 साल कंटेंट राइटिंग का काम किया। अब 1 साल से एन एफ एल स्पाइस वेबसाइट में अपनी सेवा दे रही हूँ। शुरू से ही मेरी रूचि खेती से जुड़े आर्टिकल में रही है इसलिए यहां खेती से जुड़े आर्टिकल लिखती हूँ। कोशिश रहती है की हमेशा सही जानकारी आप तक पहुंचाऊं ताकि आपके काम आ सके।

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