नई दिल्ली. आजकल यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC) की चर्चा पुरे देश में जोरों पर है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूसीसी को लेकर आये बयान ने पुरे देश में इसकी चर्चा फिर से छेड़ दी है। फ़िलहाल यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC) का मुद्दा पूरी तरह से गरमाया हुआ है। विपक्षी दाल हो या फिर अन्य पार्टियों के नेता, सबलोग एक दूसरे से तर्क वितर्क कर रहे है और बहस कर रहे है। चलिए जानते है इस आर्टिकल में की आखिर ये यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC) क्या है जिससे पुरे देश की राजनीती में अचानक से एक जंग छेड़ दी है।
यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC) क्या है?
यूसीसी यानि की यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code- UCC) जिसको हिंदी में समान नागरिक संहिता कहते है। अब इसका आपको डिटेल में मतलब समझते है। देखिये समान नागरिक संहिता का मतलब है की ये जिस देश में लागु हो जाती है वहां पर पुरे देश में एक ही कानून लागु हो जाता है। किसी भी धर्म, जाती का नागरिक हो सबके लिए एक ही कानून काम करने लगता है। सम्पति का बंटवारा हो, शादी या तलाक का केस हो, या फिर कोई और मसला हो, सब के लिए और सभी धर्मों के लिए एक ही कानून के तहत न्याय प्रणाली काम करने लगती है।
भारत में अभी क्या हो रहा है?
अब भारत की बात करें तो फ़िलहाल भारत में धर्मों के हिसाब से कानून भी काम करता है। सभी कानून तो ऐसे नहीं है लेकिन फिर भी बहुत से कानून ऐसे हैं जो धर्म आधारित है। जैसे शादी या फिर तलाक के मामले को ही ले लीजिये। इसके लिए हिन्दू मैरिज एक्ट अलग से बना हुआ है और वहीँ मुस्लिम पर्सनल बोर्ड भी है। दोनों में अलग अलग कानून काम करते है। इसके अलावा भूमि को लेकर भी कुछ कानून अलग अलग है। यानि की फ़िलहाल धर्म के हिसाब से कानून भी अलग अलग हैं। लेकिन ये देश की उन्नति के लिए सही नहीं है। एक देश में निवास करने वाले सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानून होना बहुत जरुरी है ताकि देश में तरक्की हो सकते। और इसी को लेकर आजकल ख़बरों में मामला यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC) को लेकर गरमाया हुआ है।
अभी हाल ही में ये यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC) का मामला देश में अचानक से तब जोर पकड़ने लगा जब भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इसको लेकर एक बयान दे दिया। मोदी जी ने यूसीसी का विरोध कर रहे लोगों से एक सवाल पूछ लिया जिसमे उन्होंने कहा की – आखिर दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल सकता है और जब भारत का सविंधान ये कहता है की देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं तो फिर देश में कानून अलग अलग क्यों है। अब मोदी जी के इस बयान के बाद से पुरे देश की राजनीती गरमा गई और राजनैतिक दलों ने सत्तादारी पार्टी पर अपने अपने तर्कों को बौछार करनी शुरू कर दी।
भारत में लागु नहीं हुआ इसका क्या कारण है?
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है की भारत में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC) का जिक्र हुआ हो। इससे पहले भी यूसीसी की लेकर चर्चा हो चुकी है और इसका सबसे पहले साल 1835 में अंग्रेजों द्वारा जिक्र किया गया था। उस समय कहा गया था की देश में अपराध को लेकर या फिर अन्य मुद्दों को लेकर एक समान कानून होना जरुरी है। इसके अलावा जब देश में संविधान लागु हुआ तो उसमे भी इस बात पर जोर दिया गया और आर्टिकल 44 को संविधान में शामिल किया गया जिसमे ये लिखा है की देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होंगे।
लेकिन देश में कई धर्म मौजूद है और इन सभी धर्मों के अपने अपने अलग अलग कानून है जो की अपनेधर्म के हिसाब से काम करते है। ऐसे में उस समय ये कहा गया था की अगर देश में यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC) यानि की समान अधिकार संहिता लागु कर दी जाए तो फिर धर्मों के कानून धीरे धीरे अपने आप ख़त्म हो जायेंगे। लेकिन राजनैतिक पार्टियों ने कभी भी इसको लागु नहीं होने दिया क्योंकि अगर ऐसा होता तो फिर वोट बैंक की राजनीती ही ख़त्म हो जाती।
भारत के गोवा में आज भी लागु है यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC)
गोवा भारत का ही हिस्सा है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की गोवा में यूसीसी पहले से ही लागु है। गोवा में यूसीसी की गोवा सिविल कोड के नाम से जाना जाता है। हैरान होने की जरुरत नहीं है क्योंकि गोवा में को भी तलाक तलाक बोलकर तलाक नहीं दे सकता और ना ही बिना रजिस्ट्रेशन के शादी को मान्यता मिलती है। इसी तरफ जमीं जायदाद का मुद्दा हो या फिर कितनी शादी करनी है इसका अधिकार, सबमे सभी धर्मों के लोगों को एक ही कानून के आसार चलना होता है। गोवा सिविल कोड के अनुसार ही सभी लोगों को कार्य करने होते है। गोवा में मुस्लिम 4 शादियां नहीं कर सकते और साथ में पैरेंट्स को गोवा में आधी सम्पति पर अधिकार का भी कानून है। इसके अलावा पति और पत्नी को भी समान अधिकार मिले हुए हैं।
तो क्या अब लागु होने जा रहा है पुरे देश में यूसीसी (Uniform Civil Code- UCC)?
प्रधानमंत्री मोदी जी के बयान से तो ऐसा ही प्रतीत होता है की आने वाले कुछ महीनो में ही इसको रूप देकर संसद से पास करवा दिया जाएगा। क्योंकि मोदी जी ने जो बयान दिया है और जिस हिसाब से देश की राजनीती में गर्माहट आ गई है ये ठीक वैसी ही है जो कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने से पहले हुई थी। अब लागु होगी यनही और कब लागु होगी इसके बारे में सरकार ने भी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है तो अब समय का ही इन्तजार करना होगा की ऐसे सरकार लागु करती है या नहीं करती।