किसान भाई को गेहूं की खेती से अगर बम्पर पैदावार लेनी है तो इसके लिए उनको अपनी फसल में श्री विधि का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसे गेहूं की फसल में पैदावार तो बढ़ती ही है साथ में लागत भी कम हो जाती है। इससे किसानो को बहुत लाभ मिलता है और कमाई अधिक हो जाती है।
श्री विधि क्या होती है?
श्री विधि एक्चुअल में धान की खेती में उपयोग की जाती है और ये विधि SRI प्रथाओं के अनुसार सिद्धांतों का पालन करके की जाती है। इस विधि के उपयोग से गेहूं की सफल में किसान भाई प्रति एकड़ में लगभग 10 से लेकर 16 क्विंटल तक की पैदावार को बढ़ा सकते है।
खेत की तैयारी कैसे करें
श्री विधि से गेहूं की खेती करने के लिए खेत की तैयारी वैसे ही करनी होती है जैसे को आमतौर पर गेहूं की बुवाई के लिए किसान भाई अपने अपनी गेहूं की फसल के लिए करते है। खेत की मिटटी को भुरभुरी करने के लिए जुताई अधिक करनी होती है।
खेत में गेहूं की बुवाई के बाद में छोटी छोटी क्यारियों का निर्माण किया जाता है। इन क्यारियों में खुला पानी भरकर गेहूं की सिंचाई की जाती है। श्री विधि से गेहूं की खेती करने के लिए किसान भाइयों को गेहूं की बुवाई नवम्बर के आखिरी में करनी चाहि।
श्री विधि के लिए बीजों की तैयारी
श्री विधि से गेहूं की बुवाई से पहले गेहूं के 10 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज लेकर उनको एक बर्तन में गर्म पानी में दाल दें। इसमें 3 किलो केंचुआ खाद, 4 लीटर देशी गाय का मूत्र और 2 किलोग्राम के लगभग गुड़ भी दाल दें। इसमें गेहूं के बीजों को लगभग 2 घंटे तक भिगोंकर रखें।
गेहूं के बीजों में कोबालामिन (2-3 Gram/ Kg), ट्राइकोडर्मा (7.5 Gram/ Kg), पीएसबी कल्चर (6 Gram/ Kg), और एज़ोटोबैक्टर कल्चर (6 Gram/ Kg) के हिसाब से मिलकर उपचारित करना है। इसके बाद बीजों को 8 से 10 घंटे के लिए छाया में सूखने के लिए फैला देना चाहिए। ऐसा करने से बीज अब अंकुरित अवस्था में आ जाते है।