Vertical Turmeric Farming: देश में लगातार कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है जिसकी वजह से खेती करने के लिए अब जमीन पर्याप्त नहीं रही। रोजाना खेती की जमीन पर घर और फैक्ट्रियों का निर्माण हो रहा है और अगर ऐसे ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब किसानो को खेती करने के लिए जमीन ही नहीं मिलेगी। ऐसे में अगर खेती ही नहीं होगी तो लोग क्या खाएंगे। दुनिया के कई देशो में ये परिस्थितियां आ चुकी है।
इजराइल एक ऐसा देश है जो खेती की तकनिकी में सबसे आगे है। लेकिन वहां के लोग अब ये परेशानी झेल रहे है। लेकिन वहां के लोगों ने अब इस समस्या का समाधान वर्टीकल फार्मिंग के रूप में निकल लिया है। वर्टीकल फार्मिंग का सबसे बड़ा फायदा ये है की आप आसानी से एक एकड़ जितनी जगह में 100 एकड़ जितनी पैदावार कर सकते है। इस आर्टिकल में आपको हल्दी की खेती के बारे में बताने वाले है की आखिर वर्टीकल तकनिकी का उपयोग करके हल्दी की खेती कैसे की जाती है।
Turmeric Vertical Farming
हल्दी की खेती वर्टिकल तरीके से करने के बहुत से फायदे हैं। इससे आप एक एकड़ एरिया में 100 एकड़ जितनी पैदावार ले सकते है। यदि आपने वर्टीकल हल्दी की खेती करने का प्लान बना लिया है तो चलिए आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दे देते है। सबसे पहले आपको बता दें की हल्दी की वर्टिकल खेती के लिए बॉक्स को दस दस सेंटीमीटर के गैप पर लगाना है। जब पौधे थोड़े बड़े हो जायेंगे तो इनकी पत्तियों को बाहर इस गैप में निकलना होगा।
पारम्परिक तरीके से जब किसान हल्दी की खेती करते है तो उनको एक एकड़ में लगभग 200 से 250 क्विंटल हल्दी की पैदावार मिलती है लेकिन अगर किसान वर्टीकल तरीके से एक एकड़ में हल्दी की खेती करते है तो उसमे किसानो को 1000 से लेकर 1200 क्विंटल तक की हल्दी की पैदावार मिलती है। इसीलिए वर्टीकल हल्दी की खेती करने से किसानो को कई गुणा लाभ मिलता है।
वर्टीकल हल्दी की खेती के फायदे
वर्टीकल तरीके से हल्दी की खेती करने के बहुत से फायदे हैं। किसानो को पानी की बचत होती है। इसके साथ में उर्वरकों को काममात्र में डालना होता है। खरपतवार की कोई समस्या नहीं होती क्योंकि वर्टीकल फार्मिंग में खरपतवार के लिए पॉट में कोई स्थान ही नहीं होता। वर्टीकल हल्दी की खेती में हल्दी की फसल को कीटों और बिमारियों से जायदा नुक्सान नहीं होता। बीमारियां एक पॉट से दूसरे पॉट में नहीं फ़ैल सकती।
वर्टिकल हल्दी की खेती के लिए सामग्री और उपकरण
हल्दी की वर्टिकल खेती करने के लिए किसानो को बहुत सी चीजों को ध्यान में रखना होता है। यहाँ देखिये किसान भाइयों को किन किन चीजों की जरुरत पड़ेगी हल्दी की वर्टीकल खेती के लिए।
- सबसे पहले आपको हल्दी के बीजों का चुनाव करना होगा ताकि हल्दी की खेती की जा सके। इसमें अगर आप किस्म का चुनाव करना चाहते है तो भी कर सकते है। बीज वही रहते है जो नार्मल खेत में हल्दी की खेती के दौरान इस्तेमाल किये जाते है।
- इसके अलावा किसान भाइयों को कंटेनर तैयार करने होते है जिनमे हल्दी की खेती होनी है। इसके लिए 2 फिट लम्बा और 2 फिट चौड़ा कंटेनर होना चाहिए। कंटेनर की संख्या आपकी खेती की साइज पर निर्भर करती है।
- इसके अलावा आपको मिटटी का प्रबंध करना है जिसमे मिटटी सुखी होनी चाहिए जिनको कंटेनर में भरना है और हल्दी के बीज लगाने है।
- उर्वरक का प्रबंध करना होता है। उर्वरकों में आप हमेशा गोबर का खाद या फिर वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल करें।
- सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम बनाना होगा जिससे हल्दी की सिंचाई की जानी है।
- कंटेनर में एक्स्ट्रा जल की निकासी का भी प्रबंध करना होगा ताकि कभी अधिक सिंचाई हो जाए तो अतिरक्त जल को बहार निकाला जा सके।
वर्टिकल हल्दी की खेती
वर्टिकल तरीके से हल्दी की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले कंटेनर को खाँचो में डालना है और उसमे मिटटी भरनी है। इसके बाद आपको मिटटी में उर्वरकों को मिलाना है और अब इसमें हल्दी के बीज डालकर सिंचाई कर देनी है।
बीजों के अंकुरित होने के बाद आपको इसमें जरुरत के हिसाब से सिंचाई करते रहना है और हर 20 दिन में एक बाद उर्वरकों को भी डाल देना है। लगभग 6 से 7 महीने में आपकी फसल तैयार हो जाती है। हल्दी की कटाई करने के बाद इसको धोकर सुखाया जाता है ताकि इसमें लगी हुई सारी मिटटी बाहर निकल जाए।