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क्या होगी दिल्ली में कृत्रिम बारिश, कितना आएगा खर्चा, सरकार जब जरुरत हो तो क्यों नहीं करवाती बारिश

By Vinod Yadav

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What will be artificial rain in Delhi, how much will it cost, why doesn't the government make it rain when it is needed?

नई दिल्ली: Artificial Rain – दिल्ली और आसपास के इलाकों में इस समय भयंकर वायु प्रदुषण से लोगों को जूझना पास रहा है और जब तक अच्छे से बारिश नहीं हो जाती तब तक इससे लोगों को रहत मिलती नजार नहीं आ रही है। ऐसे में सरकार ने कृत्रिम बारिश करने को लेकर प्लान बनाया लेकिन इसकी इजाजत कोर्ट से लेनी होती है। तो क्या दिल्ली में कृत्रिम बारिश होगी और होगी तो इसमें कितना खर्चा आता है।

इस आर्टिकल में जानते हैं कृत्रिम बारिश से जुडी इन तमाम बातों के बारे में इसलिए इस आर्टिकल को आखरी तक जरूर पढ़ें। अच्छा इसके अलावा एक बात और भी है की आखिर कृत्रिम बारिश के नुकसान भी हैं या नहीं और सरकार जब भी जिस भी इलाके में बारिश की जरुरत हो तो क्यों नहीं करवाती बारिश। देखिये इन सब बातों का जवाब यहाँ दिया है।

कृत्रिम बारिश क्या होती है?

जब भी बारिश होती है तो हवा में मौजूद सारा प्रदुषण बारिश के साथ में जमीन में निचे गिर जाता है और इस समय जो प्रदुषण दिल्ली और आसपास के इलाकों में हो रहा है उसमे बारिश की बहुत सख्त जरुरत है। अब प्राकृतिक बारिश तो हो नहीं रही है तो फिर सरकार अब प्लान बना रही है कृत्रिम बारिश करने का। कृत्रिम बारिश चीन में कई बार करवाई जाती है।

कृत्रिम बारिश एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे हवाई जहाज की मदद से केमिकल के छिड़काव को बादलों के अंदर किया जाता है। इस प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग के नाम से बुलाया जाता है। इस प्रक्रिया में बादलों के अंदर सिल्वर आयोडाइड या पोटैशियम आयोडाइड जैसे आम पदार्थों का हवाई जहाज की मदद से स्प्रे कर दिया जाता है।

इसके छिड़काव के बाद में बादलों में न्यूक्लाई बनने लगते है और वहां पर मौजूद पानी बर्फ में बदल जाता है और भरी होकर जमीन पर गिरने लगता है। इसके बाद ये छोटी छोटी बूंदों में बदलकर धरती पर बारिश के रूप में गिरने लगता है। इस केमिकल के छिड़काव की मदद से बादलों में पर्यारण के हिसाब से माहौल तैयार कर दिया जाता है जिसके कारन बारिश होती है।

क्या कृत्रिम बारिश कभी भी करवा सकते है?

नहीं हम केवल कृत्रिम बारिश तभी करवा सकते है जब जहाँ पर बारिश करवानी है वहां के आसमान में बादल मौजूद हो। इसके साथ ही हवाओं की गति भी तेज नहीं होनी चाहिए। बादलों में नमी पर्याप्त मात्रा में भी होनी बहुत जरुरी है। तभी बारिश हो सकती है। क्लाउड सीडिंग के जरिये बारिश करवाने में लगभग इस घंटे की प्रक्रिया होती है और इस दौरान हवाई जहाँ से बादलों में चेमिला का स्प्रे किया जाता है। स्प्रे के कुछ समय में ही बारिश होने लगती है।

लेकिन अगर आकाश में बादल नहीं हैं तो फिर हम कृत्रिम बारिश भी नहीं करवा सकते। इसके अलावा अगर हवाओं की गति तेज है तो इस समय अगर चेमाल का छिड़काव बादलों में कर दिया जाता है तो फिर ये भी हो सकता है की बारिश उस इलाके में ना होकर दूसरे इलाकों में बारिश हो जाए। क्योनी बादल हवा के साथ जहाँ जायेंगे वहीं पर बारिश होगी।

दिल्ली में बारिश करने में कितना खर्चा आयेगा

अभी जो दिल्ली में बारिश करवाने की जो चर्चा चल रही है इसमें IIT Kanpur की तरफ से बहुत ही अहम रोल निभाया जा रहा है। इस पूरी बारिश को करवाने की जिम्मेदारी IIT Kanpur ने ली है। दिल्ली में प्रदुषण की वजह से हो रही परेशानी को देखते हुए कोर्ट की परमिसन मिलने के बाद कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी।

कृत्रिम बारिश करवाने में सरकार को लगभग 12 से 15 करोड़ का खर्चा आने वाला है। इस खर्चे में दिल्ली पर बारिश करवाई जा सकती है लेकिन आपको बता दें की कृत्रिम बारिश करवाना प्रदुषण को ख़त्म करने का कोई परमानेंट समाधान नहीं है। इस बारिश की वजह से केवल 5 से 7 दिन तक लोगों को रहत मिल सकती है और उसके बाद फिर से प्रदुषण शुरू हो जायेगा।

कृत्रिम बारिश के कितने फायदे हैं

कृत्रिम बारिश हर समय और हर इलाके में नहीं करवाई जा सकती। जैसा की हमें आपको पहले भी बताया की ये हवाओ और बादलों की परिस्थिति पर निर्भर करता है। लेकिन फिर भी अगर परिस्थितियां सही हैं और किसी क्षेत्र में सूखा पड़ रहा है तो वहां पर बारिश करवाकर कुछ रहत प्रदान की जा सकती है।

 

 

 

Vinod Yadav

I am Vinod Yadav, and I have been involved in news content writing for the past four years. Since May 2023, I have been associated with nflspice.com, where I have been consistently working on delivering news content. News writing is an art, and the most important aspect of this art is the ability to convey news accurately. I am constantly striving to refine this skill and enhance my writing.

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