पशु गर्भाधान के लिए तैयार है या नहीं, देखे क्या होते है लक्षण

पशुपालन के क्षेत्र में आज के समय में आधुनिक तकनीक एवं जागरूकता काफी अधिक हो चुकी है। लोग व्यवसाय के रूप में इस कार्य को बड़े पैमाने पर करने लगे है। पशुपालन तो प्राचीन समय से ही आजीविका का एक प्रमुख साधन रहा है। लेकिन पहले लोगो को काफी ज्ञान इस क्षेत्र में था जो की आजकल के लोगो में इतना नहीं है। हालाँकि जिन लोगो ने इस क्षेत्र के लिए ट्रेनिंग ली है उनको काफी बारीकी के साथ जानकारी दी जाती है। सरकार भी पशुपालन के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीम एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रही है। उन्नत नस्ल के लिए भी शोध संस्थानों पर कार्य चल रहे है।
पशुओ में सबसे महत्वपूर्ण होता है गर्भाधान का समय, और इस समय यदि पशुओ पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो फिर काफी लम्बे समय के बाद दोबारा गर्भाधान का समय आता है। गाय – भैंस में एक से दो महीने भी लग जाते है। कुछ मामलो में एक महीने का समय लगता है तो कुछ में अधिक समय लग जाता है। और यदि समय पर पशुओ में गर्भाधान नहीं होता है तो फिर पशुओ में बाँझपन की दिक्क्त भी हो जाती है। ऐसे में पशुपालन करने वालो को ये पता होना जरुरी है की पशु किस समय हिट में आ रहा है और सही समय गर्भाधान के लिए हुआ है या नहीं। आइये जानते एक्सपर्ट का इस मामले में क्या कहना है।
पशुओ में हिट में आने के लक्षण
आमतौर पर जो लोग गाँवों में पशुपालन करते है उनको पता होगा की पशु जब भी हिट में आता है तो लगातार आवाज करता है। और खड़ा रहता है। चारा भी कम खाता है। लेकिन ये सटीक लक्षण नहीं मान सकते है। क्योकि कई बार किसी अन्य कारण से भी पशुओ में ये आदते देखने को मिलती है। जैसे की कोई व्यत्कि पशुओ के नजदीक होता है और वो कही जाता है तो भी पशु लगातार आवाज निकालता है। लेकिन कुछ अन्य लक्षण होते है। जिनसे पता किया जा सकता है की पशु हिट में आ चूका है या नहीं।
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जब पशु हिट में आता है तो उससे पहले ही दूध देने की क्षमता कम होने लगती है। इसके साथ ही पशुओ में खड़े रहने का समय भी बढ़ जाता है। पशुओ में जननांग में सूजन एवं बार बार पेशाब के लक्षण दिखाई देंगे, पशु में अलग ही बेचनी एवं बेलोइंग देखने को मिलेगी। दूसरे पशुओ को देख कर उनकी तरह बढ़ेगा आदि लक्षण से आप समझ सकते है की पशु हिट में आ चूका है। इसके साथ ही जननांग के सर्वाइकल म्युकस डिस्चार्ज की लंबी और साफ लड़ी भी लगती है।
गर्भाधान का सही समय क्या है।
यदि पशुओ में ये सभी लक्षण हो रहे है और शाम का वक्त है तो सुबह जल्दी उसके लिए गर्भाधान का समय उपयुक्त होता है। और यदि पशुओ में गर्भधान के लक्षण सुबह के समय नजर आ रहे है तो शाम के समय ग्रबधन करवा देना चाहिए। जब भी पशु हिट में आता है तो 12 घंटे के अंदर गर्भधान करवा देना चाहिए। गर्भाधान आप AI के जरिये भी करवा सकते है। लेकिन इसके लिए एक्सपर्ट डॉक्टर से गर्भाधान करवाना बेहतर होता है। इसमें ए-बी ग्रेड सीमन सेंटर की स्ट्रॉ से ही गर्भधान करवाना चाहिए। पशु नस्ल सुधार और प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए AI तकनीक का उपयोग काफी अधिक होता है।
गर्भाधान के तुरंत बाद क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए
पशुओ को गर्भाधान के बाद साफ सुथरे स्थान पर रखना चाहिए, धीरे धीरे इनको संतुलित भोजन देना जरुरी है। पशुओ को गर्भाधान के बाद लम्बी दुरी चलाने की कोशिश न करे। इससे पशुओ में दिक्क्त हो सकती है। इसके साथ साथ पशु को मौसम के हिसाब से उचित वातावरण में रखना चाहिए। अधिक गर्मी में पशुओ को ठन्डे एवं साफ, हवादार स्थानों पर रखना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में पशुओ को पानी पिलाना जरुरी होता है। जब गर्भधान को एक से डेढ़ या दो महीने का समय हो जाये तो उसकी जाँच पशु डॉक्टर से करवा लेनी चाहिए। इससे फायदा ये होगा की यदि पशु गर्भ नहीं ठहरता है तो फिर डॉक्टर से उपचार के बाद दोबारा से गर्भाधान करवा सकते है।