
13 मार्च को होलिका दहन पूर्ण हो चूका है और आज 14 मार्च के दिन रंगो त्यौहार मनाया जा रहा है। पुरे देश में धूमधाम के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है। बच्चो से लेकर बड़े बुजुर्ग भी इस त्यौहार को धूमधाम के साथ मनाते है, लेकिन बच्चो की सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अभिभावको को बच्चो की सुरक्षा को इस त्यौहार पर सर्व प्रथम रखना जरुरी है। होली में अलग अलग तरह के रंगो का उपयोग होता है जो स्किन के प्रति काफी नुकसान भी पंहुचा सकते है। खासतौर पर बच्चो को इन रंगो से स्किन एलेर्जी हो सकती है तो ऐसे में बच्चो की सुरक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है। कुछ बातो का ध्यान इस त्यौहार के दिन रखना जरुरी है।
बच्चो की सुरक्षा जरुरी
होली के अवसर पर इस्तेमाल होने वाले रंगो से बच्चो को त्वचा में जलन, एलर्जी या आंखों में संक्रमण जैसी दिक्क्त हो सकती है। इसके साथ ही होली पर तरह तरह के पकवान एवं बाजारों से मिठाईया लाइ जाती है जो की बच्चो की सेहत पर बुरा असर कर सकती है। इसके लिए कुछ उपाय करने जरूरी होते है।
प्राकृतिक रंगो का उपयोग करना चाहिए
आजकल मार्किट में प्राकृतिक हर्बल रंग भी उपलब्ध है जो की बच्चो के लिए ठीक रहते है। इससे त्वचा एलर्जी या आंखों में संक्रमण से सम्बंधित दिक्क्त से बचा जा सकता है। इसलिए हर्बल रंगो का उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही बच्चो को होली खेलने से पहले त्वचा पर नारियल का आयल लगाना चाहिए , इससे फायदा ये होगा की त्वचा पर पक्के रंगो का असर नहीं होगा और यदि रंगो में कोई केमिकल है तो उसका असर भी कम हो जायेगा। स्किन को हानिकारक रंगो से बचाने के लिए नारियल तेल या मॉइस्चराइजर जरूर लगाना चाहिए।
कान, आँखों का विशेष ध्यान रखे
होली के त्यौहार के दौरान आमतौर पर लोग चेहरे पर गुलाल जरूर लगाते है जो की आँखों या कानो में जा सकता है और इन्फेक्शन कर सकता है। इसके बचाव के लिए कानो में बच्चो को सेफ्टी प्लग जो आते है वो लगाने चाहिए और आँखों पर चस्मा लगाना चाहिए। इससे आँखों एवं कानो में कलर नहीं जायेगा। और बच्चो में स्किन सम्बंधित दिक्क़ते एवं आँखों एवं कानो सम्बंधित दिक्क़ते नहीं होगी। बच्चो को समझाना चाहिए की आँखों एवं कानो में रंग न डाले। यदि गलती से आँखों में रंग चला जाए तो तुरंत साफ एवं ठन्डे पानी से ऑफ करना चाहिए। ज्यादा दिक्क्त है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाना जरुरी होता है। आँखों को मसलना नहीं चाहिए।
गुबारों एवं पिचकारियों से रहे सावधान
होली पर बच्चे गुबारों एवं पिचकारियों से अधिक खेलते है , ऐसे में इनसे आँखों एवं बालो में रंग के जाने से दिक्क्त हो सकती है। गुब्बारों से चोट भी लग सकती है। इनसे दूर रखना बेहतर रहेगा। गलती से यदि किसी नाजुक स्थान पर गुब्बारा लग गया तो बच्चो को दिक्क्त हो सकती है। इसके साथ साथ बच्चो को होली के पकवान जैसे गुजिया, ठंडाई आदि सीमित मात्रा में दें, ताकि उनको पेट सम्बंधित दिक्क्त न हो।