भैंस गाभिन है या नहीं – 10 रुपए में ऐसे करें चेक, तुरंत पता चलेगा

आज के समय में पशुपालन भी एक तरीके से कठिन कार्य बनता जा रहा है क्योकि जिस तरह से केमिकल युक्त खाद उर्वरक का इस्तेमाल हो रहा है उसी तरह से पशुओ में भी कई तरह की बीमारियों हो रही है जिसमे गर्भ धारण न होना , दूध की समस्या आदि कई प्रकार की समस्या उत्तपन्न हो रही है।
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जिससे पशुपालको को नुकसान होता है और लेकिन टेक्नोलॉजी के दम पर इस प्रकार की समस्या से निपटा भी जा रहा है। पशु ने गर्भ धारण किया या नहीं ये जानने के लिए पशुपालको को काफी इंतजार करना होता है कम से कम 3 महीने का समय लगता है इसके बाद आप डॉक्टर से चेक करवाते है और यदि गर्भधारण नहीं होता है तो नुकसान होता है। समय भी ख़राब होता है ऐसे में ऐसी किट विकसित की गई है जो पशुओ में गर्भधारण की जानकारी देती है
लेकिन अब आपको इसके लिए चिंता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि अब खुद ही घर पर आप इस बात का पता कर सकते है की गाभिन होने के बाद आपकी भैंस ने गर्भधारण किया या फिर नहीं किया। गर्भधारण नहीं करने के बहुत से कारण हो सकते है जिन पर पशु पलकों को ध्यान रखना होता है।
भैंस के हिट में आने के बाद जब मद का आखिरी समय होता है उसके 5 से 10 घंटे के अंतराल पर अंडे निचे आते है और वो भैंस के गाभिन होने का सही समय होता है। इसलिए इस बात का भी पशुपालकों को ध्यान रखना होता है। लेकिन फिर भी कई बार भैंस रूकती नहीं है इसलिए अब आप उसके बारे में घर पर ही पता कर पाएंगे। देखिये इस आर्टिकल में हमने उसके बारे में आगे डिटेल में बताया है।
प्रेग डी किट का करें इस्तेमाल
अब सभी पशुपालकों को अपनी भैंस गाभिन है या नहीं ये चेक करने के लिए प्रेग डी किट का इस्तेमाल करना चाहिए। इस किट को केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB), हिसार और भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग दोनों न मिलकर तैयार किया है। इसकी मदद से अब पशुपालक आसानी से अपने घर पर ही भैंस के गाभिन होने का पता कर सकते है।
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सीआईआरबी के डॉक्टरों के मुताबित प्रेग डी किट के जरिये एक जैव रसायन की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है जिसमे इस किट पर भैंस का मूत्र डाला जाता है। इससे ये पता चलता है की भैंस गाभिन है या फिर नहीं है। किट में मूत्र डालने के बाद अगर इसका रंग गहरा लाल या बैंगनी होता है तो इसका साफ मतलब होता है की आपकी भैंस गाभिन हो चुकी है और यदि मूत्र डालने के बाद में किट का रंग पीला दिखाई देता है तो इसका मतलब आपकी भैंस गाभिन नहीं हुई है और उसको फिर से गाभिन करवाना पड़ेगा।
किट के जरीये भैंस के गर्भाधान की जाँच करने से पूर्ण आपको ये सुनिश्चित करना होगा की आपका पशु बीमार तो नहीं है। अगर पशु बीमार है तो आपको इस किट से परिणाम सही प्राप्त नहीं होंगे। किट में डालने से पहले मूत्र का तापमान 20 से लेकर 30 डिग्री के आसपास होना चाहिए।
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किट का सफल ट्रायल हो चूका है
सीआईआरबी के द्वारा इस किट का सफल परीक्षण भी किया जा चूका है जिसमे पूर्ण रूप से कामयाबी प्राप्त हुई है। सीआईआरबी के द्वारा मिथुन पशु पर इस किट का परीक्षण किया था। मिथुन पशु नागालैंड के पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है। इस पशु पर प्रेग डी किट का सफल परीक्षण होने के बाद अब ये जल्द ही बाजारों में उपलब्ध होने लग जाएगी।
कब तक मिलेगी पशुपालको को ये किट
केंद्रीय भैंस अनुसन्धान केंद्र हिसार एवं बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट भारत की तरफ से प्रेग डी किट को तैयार किया गया है। आपको बता दे की इस किट को तैयार कर रहे एवं इस पर रिसर्च कर रहे सीनियर डॉक्टर अशोक बल्हारा ने बताया की ये किट जल्द ही बाजारों में उपलब्ध होगी जिससे किसानो को पशुपालन में मदद मिलेगी और नुकसान कम होगा। पशुओ के गर्भधारण की पुष्टि में आसानी होगी