Agriculture

इस तरीके से डालिये धान में जिंक, ट्राली भर के ले जाओगे धान की

Farmers News – किसान भाई अपने धान के खेत में जिंक का प्रयोग करते है लेकिन कई बार उनको वो लाभ नहीं मिल पाता जो मिलना चाहिये। इसलिए धान में जिंक के प्रयोग की विधि के बारे में किसान भाइयों को पूरी जानकारी होनी बहुत जरुरी हो जाती है।

इस आर्टिकल में हम किसान भाइयों को धान में जिंक के प्रयोग का तरीका और उसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले है। आज के ज़माने में कृषि कार्य वैसे भी बहुत आगे बढ़ चूका है और नई नई तकनीक की वजह से किसानो को अब बहुत लाभ होने लगा है। लेकिन किसान भाइयों को धान में जिंक के प्रयोग से पहले ये पता जरूर करना चाहिये की धान में जिंक की कमी है या नहीं।

धान में जिंक की कमी को कैसे पहचाने

धान के खेत में जिंक की कमी से किसान भाइयों को बहुत अधिक नुकसान होता है। पैसवार उतनी नहीं मिल पाती जितनी होनी चाहिये। धान में जिंक की कमी होने से फसल में किसान भाइयों को उसके चिन्ह नजर आने लगते हैं। अगर समय पर उनकी पहचान कर ली जाए तो फसल में जिंक के प्रयोग से फसल में बम्पर पैदावार आसानी से ली जा सकती है।

अगर खेत की मिटटी में जिंक की कमी है और धान की फसल में पर्याप्त मात्रा में पौषक तत्वों की उपलब्धता नहीं हो पा रही है तो धान के पौधों की पत्तियां पिली नजर आने लगती है। पत्तियों के पिले होने का खेत में जिंक की कमी की पहली निशानी होती है। ऐसे में किसान भाइयों को समझ जाना चाहिये की खेत में जिंक का प्रयोग करने का समय आ गया है।

इसके साथ ही फसल में धान के पौधों की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे अगर नजर आ रहे है तो ये भी खेत में जिंक की कमी के लक्षण है। इन धब्बों की वजह से पौधे अपनी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाते और धीरे धीरे पौधे ख़त्म हो जाते है।

खेत में अगर जिंक की कमी है तो पौधों की कलियों का विकाश भी सही से नहीं हो पाता और इसका सीधा सीधा असर खेत में पैदावार पर पड़ता है। किसानो को इससे भरी नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा पत्तियों का मुड़ना भी जिंक की कमी का ही लक्षण होता है। इसमें पत्तियां गोल गोल मुड़कर पाइप की तरफ हो जाती है।

इन सबकी वजह केवल जिंक की कमी होती है और खेत में फसल में जिंक की कमी से होने वाले इन रोगों की वजह से पौधों में बालियां भी समय पर नहीं निकल पाती और देरी से बालियां निकलने की वजह से पैदावार भी कम होती है क्योंकि देरी से निकली बालियां पूरी तरफ से पक नहीं पाती है।

धान में जिंक कब इस्तेमाल करें

धान के खेत में किसान भाइयों को जिंक कब इस्तेमाल करनी चाहिये इसके बारे में भी पूरी जानकारी होना बहुत ही जरुरी होता है। ऊपर जो भी धान की फसल में लगने वाले रोगों के लक्षण बताये गए है उनमे से कोई भी अगर किसानों को अपने खेतों में नजर आते हैं तो आपको तुरंत प्रभाव सेअपने खेत में जिंक का प्रयोग करना चाहिये। इससे पौधों को तुरंत प्रभाव से पौषक तत्वों की आपूर्ति होगी और आपकी फसल वापस से अच्छी और स्वस्थ होने लग जाएगी।

जिंक को धान की रोपाई से पहले ही किसान भाइयों को अपने खेतों में इस्तेमाल करना चाहिये और इससे आएगी चलकर फसल में कोई भी समस्या नहीं होती है। प्रति अकड़ में 10 से 12 किलोग्राम जिंक सल्फेट को पानी में गोलबनकर उसका छिड़काव खेत में कर देना चाहिये। पौधों के शुरूआती विकाश में ये छिड़काव बहुत ही अहम भूमिका निभाता है।

फसल के बड़े होने के बाद अगर किसान भाइयों को फसल में जिंक की कमी का कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है तो तुरंत प्रभाव से जिंक सल्फेट 3 किलोग्राम और 12 किलोग्राम यूरिआ खाद को प्रति 500 लीटर पानी में घोल बनाकर इसका छिड़काव कर देना चाहिये। इससे पौधों में दिखाई देने वाले जिंक सल्फेट की कमी के लक्षण समाप्त हो जायेंगे और पौधों को विकाश और अधिक तेजी के साथ में होने लगेगा।

Vinod Yadav

I am Vinod Yadav, and I have been involved in news content writing for the past four years. Since May 2023, I have been associated with nflspice.com, where I have been consistently working on delivering news content. News writing is an art, and the most important aspect of this art is the ability to convey news accurately. I am constantly striving to refine this skill and enhance my writing.

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