पशुपालकों को भैंस गाभिन होने के बाद ये पता करने में कई दिन लग जाते है की आखिर भैंस गाभिन हुई या फिर नहीं हुई (buffalo is pregnant or not)। कई बार तो पशुपालकों को भैंस के गाभिन होने या नहीं होने का इतनी देरी से पता चलता है की तब तक भैंस (buffalo) दूध देना भी बंद कर देती है। इससे पशुपालकों का सीधा सीधा नुकशान झेलना पड़ता है और फिर जब तक भैंस दोबारा से गभन नहीं होगी और ब्यात नहीं देती तब तक वह दूध भी नहीं देती। ऐसे में पशुपालकों को हमेशा भैंस को गाभिन (buffalo pregnant) करवाने के बाद इस बात की चिंता सताती रहती है की पता नहीं भैंस रुकी या फिर नहीं रुकी।

लेकिन अब आपको इसके लिए चिंता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि अब खुद ही घर पर आप इस बात का पता कर सकते है की गाभिन होने के बाद आपकी भैंस ने गर्भधारण किया या फिर नहीं किया। गर्भधारण (conceiving) नहीं करने के बहुत से कारण हो सकते है जिन पर पशु पलकों को ध्यान रखना होता है।

भैंस के हिट में आने के बाद जब मद का आखिरी समय होता है उसके 5 से 10 घंटे के अंतराल पर अंडे निचे आते है और वो भैंस के गाभिन होने का सही समय (buffalo to become pregnant) होता है। इसलिए इस बात का भी पशुपालकों को ध्यान रखना होता है। लेकिन फिर भी कई बार भैंस रूकती नहीं है इसलिए अब आप उसके बारे में घर पर ही पता कर पाएंगे। देखिये इस आर्टिकल में हमने उसके बारे में आगे डिटेल में बताया है।

प्रेग डी किट का करें इस्तेमाल

अब सभी पशुपालकों को अपनी भैंस गाभिन है या नहीं ये चेक करने के लिए प्रेग डी किट का इस्तेमाल करना चाहिए। इस किट को केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्‍थान (CIRB), हिसार और भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग दोनों न मिलकर तैयार किया है। इसकी मदद से अब पशुपालक आसानी से अपने घर पर ही भैंस के गाभिन होने का पता कर सकते है।

सीआईआरबी के डॉक्टरों के मुताबित प्रेग डी किट के जरिये एक जैव रसायन की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है जिसमे इस किट पर भैंस का मूत्र डाला जाता है। इससे ये पता चलता है की भैंस गाभिन है या फिर नहीं है। किट में मूत्र डालने के बाद अगर इसका रंग गहरा लाल या बैंगनी होता है तो इसका साफ मतलब होता है की आपकी भैंस गाभिन हो चुकी है और यदि मूत्र डालने के बाद में किट का रंग पीला दिखाई देता है तो इसका मतलब आपकी भैंस गाभिन नहीं हुई है और उसको फिर से गाभिन करवाना पड़ेगा।

किट के जरीये भैंस के गर्भाधान की जाँच करने से पूर्ण आपको ये सुनिश्चित करना होगा की आपका पशु बीमार तो नहीं है। अगर पशु बीमार है तो आपको इस किट से परिणाम सही प्राप्त नहीं होंगे। किट में डालने से पहले मूत्र का तापमान 20 से लेकर 30 डिग्री के आसपास होना चाहिए।

किट का सफल ट्रायल हो चूका है

सीआईआरबी के द्वारा इस किट का सफल परीक्षण भी किया जा चूका है जिसमे पूर्ण रूप से कामयाबी प्राप्त हुई है। सीआईआरबी के द्वारा मिथुन पशु पर इस किट का परीक्षण किया था। मिथुन पशु नागालैंड के पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है। इस पशु पर प्रेग डी किट का सफल परीक्षण होने के बाद अब ये जल्द ही बाजारों में उपलब्ध होने लग जाएगी।

मैं शुभम मौर्या पिछले 2 सालों से न्यूज़ कंटेंट लेखन...

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