आम के पेड़ों पर खतरनाक कीटों का हमला, अभी करें ये छिड़काव और पाएं बंपर पैदावार
मार्च का महीना आते ही आप की खेती करने वाले किसान भाइयों की टेंशन भी बढ़ जाती है क्योंकि ये समय आप के पौधों पर बौर आने का होता है। बौर आने के साथ साथ में कई किट और रोग फसल पर हमला करते है। देखिये कैसे इनसे अपनी आम की फसल का बचाव कर सकते है।

देश में बहुत बड़े लेवल पर आम की खेती किसानों के द्वारा की जाती है और जो भी किसान आम की खेती करते है उन सभी को अच्छे से पता है की मार्च के महीने में आम के पेड़ों पर बौर आने का समय होता है। मार्च के महीने में सभी आम के पेस बौर से लद जाते है लेकिन किसान भाइयों को ये बात भी अच्छे से पता होगी की बौर के साथ साथ में आम के पेड़ों पर रोगों और कीटों का खतरा भी मंडराने लगता है।
सभी किसान भाइयों को अपने आम के पेड़ों पर इन कीटों को रोगों के हमले से बचाव करना बहुत ही जरुरी है नहीं तो उनको भारी नुकसान हो सकता है। किसान भाई इन सभी कीटों और रोगों की पहचान करके समय रहते इनका उपचार कर लेते है तो फिर उनकी फसल में काफी अच्छी पैदावार मिल जाती है। आइये आपको बताते है की आम की फसल में कौन कौन से रोगों का खतरा मार्च के महीने में रहता है और इनकी पहचान कैसे की जाती है। इसके अलावा इनकी रोकथाम के लिए आपको क्या करना है इसकी भी जानकारी आपको देने वाले है।
थ्रिप्स और रस चूसक कीट
आम के पेड़ों पर आने वाले बौर और नए फलों पर सबसे अधिक खतरा थ्रिप्स और एफिड्स से होता है और ये किसान भाइयों की पूरी फसल को चौपट कर सकते है। ये आकार में बहुत छोटे छोटे किट होते है जो आम के फूलों पर छोटे फलों का रस चूस लेते है। इसकी वजह से बौर झड़ने लगता है और जो छोटे छोटे फल लगे हुए होते है वो भी झड़ जाते है।
इसको भी पढ़ें: आदमी के सिर के बाल क्यों उड़ते हैं लेकिन औरतें गंजा क्यों नहीं होतीं? जानिए इसके वैज्ञानिक कारण
किसान भाई अपने खेत में इनकी आसानी के साथ में पहचान कर सकते है। किसान भाइयों अगर आम के बौर पर आपको काले रंग के या फिर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है तो आपको समझ जाना चाहिए की आपकी आम की फसल में इन रोगों का प्रकोप शुरू हो गया है। इसके अलावा आम के फूल समय से पहले ही झड़ जा रहे है और छोटे छोटे नए आम भी झड़ जा रहे है तो उन रोगों का प्रकोप आपकी फसल में शुरू हो चूका है।
थ्रिप्स और रस चूसक कीटों से कैसे बचाव करें?
आप अपनी आम की खेती में जैविक और रासायनिक दोनों ही तरीके से इन कीटों का प्रकोप ख़त्म कर सकते है। अगर आप जैविक खेती करते है तो आपको नीमास्त्र का छिड़काव अपने खेत में आम के पेड़ों के ऊपर करना चाहिए जो की आम की फसल को इन कीटों के प्रकोप से बचाएगा। इसके अलावा अगर आप रासायनिक ऊपर करना चाहते है तो इसके लिए आप इमिडाक्लोप्रिड (0.3 ml/L) या थायोमेथोक्साम (0.5g/L) का छिड़काव करके भी अपनी आम की फसल को थ्रिप्स और रस चूसक कीटों से बचा सकते है।
मिलिबग्स नामक कीट का भी होता है हमला
मिलिबग्स नामक कीट भी आम की फसल को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। ये कीट बौर और फलों पर चिपक जाते हैं और उनमें से रस चूस लेते हैं। इसकी वजह से भी किसान भाइयों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। इस रोक के चलते आम के पेड़ के तने पर या फिर बौर के ऊपर एक सफ़ेद रंग की चिपचिपी परत चढ़ जाती है। इससे पेड़ों के पत्ते भी कमजोर होने लगते है और फलों के आने की प्रक्रिया रुक जाती है और जो फल आ चुके है वे भी ग्रोथ नहीं कर पाते।
मिलिबग्स नामक कीट का प्रकोप अपनी आम की खेती में अगर आपको रोकना है तो इसके लिए आपको नीम तेल का छिड़काव आम के पौधों पर करना होगा। इसके अलावा बवेरिया बेसियाना का उपयोग भी आप कर सकते है। अगर प्रकोप अधिक हो चुका है तो आप अपने खेत में पौधों के ऊपर क्लोरपाइरीफोस (2 ml/L) का छिड़काव करके इस रोग से आसानी से छुटकारा पा सकते है।
इसको भी पढ़ें: गर्मियों में कूलर खरीदते समय ध्यान रखें ये बातें, बिजली की बचत और ठंडी हवा का मिलेगा आनंद
पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) नामक फफूंद का हमला
किसान भाइयों आपको बता दें की आम के बौर और पत्तो पर पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) नामक फफूंद का हमला भी काफी अधिक देखने को मिलता है जो की पेड़ के पत्तों या फूलों पर एक सफ़ेद रंग की परत का निर्माण कर देते है। इसकी वजह से भी उत्पादन में काफी अधिक असर होता है।
पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) का हमला अपने खेतों में रोकने के लिए आपको सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना होगा या फिर आप कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/L) का छिड़काव करके इस रोग से अपनी फसल को छुटकारा दिलवा सकते है।
इसको भी पढ़ें: यामाहा ने लांच किया 150cc Bike का नया हाइब्रिड मॉडल, डाइनामिक लुक के साथ बेहतरीन फीचर शामिल
किसान भाइयों को ध्यान रखनी है ये बातें
किसान भाइयों को अपनी आम की फसल में कई बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आपको बता दें की आपको हर 2-3 दिन में आम के पेड़ों की पत्तियों, बौर और फलों को ध्यान से देखना है तो अगर आपको फसल में कोई भी असामान्य लक्षण दिखाई देता है तो उसका तुरंत उपाय करना होगा। इसके अलावा आपको
फसल को सुरक्षित रखने के लिए ये बातें ध्यान रखें जैविक और रासायनिक दवाओं का छिड़काव समय समय पर करते रहना है ताकि कोई भी रोग और किट हमला नाम कर पाएं। समय-समय पर सिंचाई करें और संतुलित मात्रा में खाद और पोषक तत्व आम के पौधों को जरूर दें ताकि आप की पौधे अच्छे से ग्रोथ कर सके। आपको कौशिस करनी है की अपनी खेती में हमेशा जैविक खादों का इस्तेमाल करें।