How to Cultivate Lemon: अक्सर किसान मौसम की खराबी, बाढ़ और अन्य आपदाओं के कारण पारंपरिक खेती (traditional farming) में ज्यादा लाभ प्राप्त नहीं कर सकते हैं। क्योंकि इन सभी कारणों से किसान को पारंपरिक खेती में कम उपज प्राप्त होती है। लेकिन यदि आप पारंपरिक खेती के साथ बागवानी खेती (Horticulture Farming) भी करें, तो आप अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि बागवानी खेती में ज्यादा समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है और परन्तु बागवानी खेती पारंपरिक खेती से तैयार होने में थोड़ा अधिक समय लेती है। लेकिन यदि बागवानी खेती (horticulture farming) एक बार तैयार हो जाए, तो आपको 3 से 4 सालों के लिए उपज प्रदान कर सकती है। उसके बाद हम एक साथ लगातार बहुत अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए दोस्तों आज हम आपके लिए बागवानी खेती में से एक सबसे प्रसिद्ध खेती नींबू की खेती (Lemon Farming) के बारे में जानकारी लेकर आए हैं आज कि इस पोस्ट में हम आपको नींबू की खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।
आज के समय में नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti) हर कोई किसान करना चाहता है मगर किसान को खेती करने का सही तरीका पता न होने के कारण वह अच्छे से खेती नहीं कर पता है और नुकसान में चला जाता है। लेकिन दोस्तों इस पोस्ट में हम आपको शुरू से लेकर अंत तक नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti) की संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। यदि आप इस लेख को पूरा पड़ेंगे, तो मैं पूरे यकीन से कह सकता हूं कि आप नींबू की खेती काफी अच्छे से कर सकते हैं और अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आज के समय में नींबू के भाव (lemon prices) आसमान छू रहे हैं। क्योंकि नींबू का उपयोग हर एक जगह
पर किया जाता है। चाहे वह सलाद के रूप में हो या फिर अन्य कामों में नींबू सबका पसंदीदा फल बन गया है। इसीलिए बाजार में इसके काफी ज्यादा दाम होते हैं। हर साल गर्मीयों के मौसम में नींबू के भाव काफी महंगे हो जाते हैं। क्योंकि नींबू की खेती (Lemon Farming) बहुत ही कम इलाकों में की जाती है और इसे बहुत ही कम लोग करते हैं। यदि आप भी नींबू
की खेती करेंगे तो आप बेशक बहुत अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
भारत के किन राज्यों में नींबू की खेती होती है?
वैसे तो भारत में नींबू का उत्पादन बहुत ही कम राज्यों में किया जाता है। लेकिन भारत में सबसे ज्यादा नींबू का उत्पादन आंध्र प्रदेश राज्य में किया जाता है। इसके अलावा भारत में कुल छः राज्य ऐसे है, जहां पर भारत में नींबू उत्पादन का कुल 70 फ़ीसदी नींबू उत्पादित किया जाता है। जिनमें प्रमुख आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उड़ीसा है। नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा नींबू उत्पादित करने वाला राज्य आंध्र प्रदेश अकेले 19.73 प्रतिशत नींबू का उत्पादन करता है। इसके अलावा पांच राज्य ओर है जिसमें आंध्र प्रदेश के बाद गुजरात लगभग 17.80% नींबू उत्पादित करता है। उसके बाद महाराष्ट्र जो 9.85% और कर्नाटक 9.68% तथा मध्य प्रदेश जहां पर 8.61% नींबू उत्पादित किया जाता है यह पांचो राज्य मिलकर भारत के कुल नींबू उत्पादन का लगभग 30% नींबू उत्पादन करते हैं।
नींबू का उपयोग – Use of Lemon
नींबू के फलों (lemon fruits) में 40-50% तक रस निकलता है। इसके फलों के रस का उपयोग स्क्वैश, कॉर्डियल, अम्ल आदि बनाने में किया जाता है। इसके अलावा नींबू का उपयोग अचार बनाने में भी किया जाता है। साथ ही इसे सलाद के रूप में भी खाया जाता है। इसके निरंतर प्रयोग के कारण इसके दाम बहुत अधिक होते हैं। नींबू का रस पीने से हमारे शरीर में स्फूर्ति आती है।
नींबू की खेती के लिए खेत की तैयारी – Field preparation for lemon Cultivation
नींबू की खेती (Lemon Farming) करने के लिए खेत को गर्मी के महीने में ही तैयार करना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए आपको निम्न चरणों को ध्यान देना है।
- गर्मी के महीने में खेत (Farm) की तैयारी शुरू करने के लिए सबसे पहले खेत की एक बार गहरी
जुताई करें जिससे पुरानी फसलों के अवशेष नष्ट हो सके एवं खरपतवार भी जड़ से खत्म हो
सके। - एक बार गहरी जुताई करने के बाद खेत में सड़ी हुई गोबर का खाद डालें और उसके बाद एक बार
फिर गहरी जुदाई करें - नींबू की खेती के लिए अच्छे पीएच मान और उपयुक्त मिट्टी वाले खेत का चुनाव करें ।
- दूसरी जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर एक बार फिर गहरी जुताई करें और खेत को समतल
बना लें, उसके बाद छोटी-छोटी क्यारियां बनाएं। - नींबू के पौधे की बुवाई के लिए 60*60 सेंटीमीटर के गड्ढे खोदे और गड्ढों के बीच की दूरी 5 मीटर
से कम नहीं होनी चाहिए। - पौधों को गड्ढों में उगने से पहले गड्ढों में उचित मात्रा में कंपोस्ट खाद डालें।।
निम्बू की किस्में – Lemon Varieties
नींबू की खेती करने से पहले हमें सबसे पहले यह जानना बहुत आवश्यक है कि नींबू की खेती (Lemon Farming) के लिए कौन सी किस्म सबसे उन्नत और प्रमुख है। यदि हमने खेती करने के लिए सही किस्म का चुनाव किया तो हमें अधिक उत्पादन प्राप्त होगा और यदि हमने बिना सही किस्म का पता लगाएं खेती करी, तो शायद हम घाटे का सौदा करेंगे। नीचे हमने नींबू की कुछ प्रमुख और उन्नत किस्मों के बारे में वर्णन किया है। आप इन किस्मों का उपयोग कर सकते हैं।
नींबू की चक्रधर किस्म – Chakradhar variety of Lemon
नींबू की चक्रधर किस्म के नींबू में बीज नहीं पाए जाते हैं। इस किस्म के नींबू आकार में गोल होते हैं और इस किस्म की रोपाई के बाद हम 4 वर्ष बाद फल प्राप्त कर सकते हैं। इसके फल जनवरी-फरवरी और जून जुलाई तथा सितंबर-अक्टूबर में पकते हैं।
नींबू की बारामासी किस्म – Perennial Variety of Lemon
इस प्रकार की किस्म के पौधों में एक वर्ष में दो बार नींबू लगते हैं। बारामासी किस्म के प्रत्येक पौधे से हम 55 से 60 किलोग्राम तक नींबू प्राप्त कर सकते हैं। बारामासी किस्म के नींबू जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च महीने में पकते हैं और यह महीना नींबू के व्यापार के लिए सबसे उच्चतम होते है।
कागजी नींबू – Kagji Lemon
इस प्रकार की किस्म के नींबू का आकार छोटा होता है और प्रत्येक फल का वजन लगभग 40 से 60 ग्राम तक हो सकता है। इस किस्म के फलों के छिलके पतले होते हैं, जिनका बाजार में बहुत अधिक दाम होता है। कागजी नींबू किस्म के फलों से रस अधिक मात्रा में निकला जाता है। और यह स्वाद में काफी खट्टे होते हैं। इस प्रकार की किस्म के नींबू पकाने के बाद पीले रंग के होते हैं।
रंगपुर नींबू – Rangpur Lemon
रंगपुर नींबू प्रकार की कि स्म की खेती मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रों में की जा सकती है। इस प्रकार की किस्म के फल थोड़ी देरी से पकते हैं और इस किस्म के नींबू का उपयोग सीरप बनाने में किया जाता है।
नींबू की पी. के. एम. 1 किस्म – Lemon PK M.1 variety
नींबू की पी. के. एम. 1 किस्म के फल आकार में बड़े और गोल होते हैं। इस किस्म के फल पकाने के बाद आकर्षक पीले रंग के हो जाते हैं। इस किस्म के प्रत्येक नींबू में 50-53% तक रस पाया जाता है।
नींबू की खेती के लिए पौधों की तैयारी और रोपाई करना – Nimboo Ki Kheti
यदि आप नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti) के लिए पौधों को नर्सरी में तैयार करने की बजाय घर पर ही तैयार करते हो, तो आपको खेत तैयारी से पहले ही पौधों को तैयार करना होंगा । उसके बाद आपको खेत में जाकर पौधों की बुवाई करनी है। यदि आप पौधों को नर्सरी से खरीदते हो, तो खेत तैयारी के बाद पौधों को खरीदें एवं गड्ढों में जाकर लगा दें ध्यान रहे पौधों से पौधों की बीच की दूरी 5 मीटर से ज्यादा होनी चाहिए। पौधों की बुवाई के तुरंत बाद खेत में सिंचाई कर दें।
नींबू की खेती के लिए जलवायु एवं मृदा – Climate and Soil for Lemon Cultivation
नींबू की खेती (Lemon Farming) के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे उपयुक्त रहती है। इस जलवायु में इसके पौधे काफी अच्छी तरह से ग्रोथ करते हैं और बात करें तापमान की तो Nimbu Ki Kheti के लिए 20 से 30 डिग्री का औसत तापमान श्रेष्ठ रहता है। इसके अलावा Lemon Farming 75 से 200 सेंटीमीटर वर्षा वाले इलाकों में की जा सकती है। जिन क्षेत्रों में ज्यादा सर्दी पड़ती हो और पाला पड़ने की संभावना रहती हो, उन क्षेत्रों में इसकी खेती कर पाना संभव नहीं है।
वैसे तो नींबू की खेती (Lemon Farming) हर प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं। परंतु यदि आप अधिक उत्पादन प्राप्त करना चाहते हो और बड़े क्षेत्र में आप इसकी खेती करते हो, तो इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी (loamy soil) सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस प्रकार की मिट्टी में नींबू की खेती सर्वाधिक होती है।
परंतु यदि आप रेतीले इलाकों में रहते हो, तो इन इलाकों में नींबू की खेती कर पाना असम्भव है। जब आप lemon farming करते हो, तो उससे पहले आपको मिट्टी के पीएच लेवल (pH level) को आवश्यक जांच लेना है। नींबू की खेती करने के लिए मिट्टी का पीएच लेवल 5.5 से 6.5 के मध्य होना चाहिए।। यदि आपकी मिट्टी का पीएच मान इससे कम है, तो आप अपनी मिट्टी में बेकिंग सोडा डालकर पीएच लेवल को बढ़ा सकते हैं।
नींबू की बुवाई का सही समय – Right time for Sowing Lemon
यदि आप नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti) करते हो, तो आपको नींबू के पौधों को जुलाई से अगस्त महीने के मध्य में ही लगा देना चाहिए।। इससे पहले आप पौधों को नर्सरी में अवश्य तैयार कर लें क्योंकि पौधों को तैयार होने में भी समय लगता है। उसके बाद नर्सरी से पौधे को उखाड़ कर खेत में लगा दें।। यदि आप अच्छे सिंचित इलाकों में रहते हो और आपकी मिट्टी जल भराव क्षमता वाली है। तो आप नींबू के पौधों (lemon plants) को फरवरी-मार्च में भी लगा सकते हो।
नींबू की सिंचाई – Lemon Irrigation
नींबू के पौधों की बुवाई के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई करनी चाहिए, उसके बाद आप खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखें । जिसके लिए निरंतर अंतराल के पश्चात खेत में सिंचाई करते रहे खासकर गर्मियों के दिनों में 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें तथा सर्दियों के दिनों में 20 दिनों के अंतराल पर सच्चाई करें। बारिश के दिनों में आवश्यक हो तो ही सिंचाई करें।
इसके अलावा आप नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti)में सिंचाई की अलग-अलग पद्धतियों का उपयोग करके भी सिंचाई कर सकते हैं। जैसे टपकन विधि, थाला बनाकर सिंचाई आदि।।
परंतु नींबू की बागवानी के लिए टपक प्रणाली (Drip System) सबसे उच्चतम विधि होती है। इस प्रणाली के द्वारा सिंचाई करना नींबू की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। जिससे खेत में भी पर्याप्त नमी बनी रहती है और जल का दुरुपयोग भी नहीं होता।।
नींबू की खेती में खाद एवं उर्वरक – Manure and Fertiliser in Lemon Cultivation
नींबू की खेती (Lemon Farming) के लिए खाद एवं उर्वरक, सिंचाई जितना ही आवश्यक होता है। यदि प्राकृतिक खेती करते हैं तो गोबर खाद सबसे उच्चतम उपाय है।। नींबू की खेती के लिए आपको गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट खाद आदि का उपयोग कर सकते हैं।
नींबू के पौधे जैसे ही 3 वर्ष के हो जाए, तो आपको एक वर्ष में दो बार खाद डालना है। प्रथम फूल आने से पहले 5 किलो प्रति पौधे के हिसाब से वर्मी कंपोस्ट खाद और गोबर खाद का उपयोग करें। जब नींबू के पौधे 10 वर्ष से अधिक के हो जाए तब वर्ष में एक बार 250 ग्राम डीएपी(DAP) खाद और 150 ग्राम नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम खाद का उपयोग करें।
नींबू के पौधों की निराई गुड़ाई – Weeding Lemon Plants
यदि बुवाई के बाद आप निरंतर पौधों की देखभाल करते हो समय-समय पर सिंचाई, निराई गुड़ाई और खाद देते हो तो आपकी खेती बहुत अच्छे से होगी।। नींबू के पौधों में निराई गुड़ाई करने के लिए आपको तीन से चार महीने के पौधों की जड़ों के आसपास से खरपतवार को हटाना है ध्यान रहे 1 साल में एक बार हर एक पौधे की मिट्टी को निकाल कर उसमें गोबर खाद अवश्य डालें और यदि नींबू के पौधों के फल नहीं लग रहें हो तो सुखी टहनियों को काट दें।
नींबू की तुड़ाई – Lemon Picking
किसान भाइयों हम आपको बता दे की नींबू की फसल को पक्कर तैयार होने में लगभग तीन से चार सालों का समय लगता हैं। नींबू के पौधों (lemon plants) पर फूल आने के कुछ चार महीने बाद ही फल आ जाते हैं। परंतु उस समय फल पूरी तरह से नहीं पकते हैं। नींबू के फल गुच्चो में पकते हैं और नींबू के फल एक साथ न पक कर एक-एक पकते हैं। इसलिए गुच्छों में जो फल पीले पड़ जाते हैं। उन फलों को आपको छांटकर तोड़ना चाहिए।
नींबू तोड़ने (lemon plucking) के बाद उनकी अच्छे से सफाई कर ले, उसके बाद 1 लीटर पानी में 2.5 ग्राम क्लोरिनेटेड मिलकर नींबू को उसमें डालकर अच्छे से धो ले । उसके बाद छायादार जगह पर नींबू को सुखा दें । इससे नींबू में चमक उत्पन्न होती है। बाद में आप पैकेजिंग करके इसे बाजार में बेच सकते हैं।।
नींबू में लगने वाले रोग एवं उपचार – Lemon Diseases and Treatment
कई किसान भाइयों की यह समस्या रहती है कि उनकी फसल ज्यादा रोगों के कारण खराब हो जाती है और इसलिए वह अच्छी उपज प्राप्त नहीं कर पाते हैं इसलिए आपको अपनी फसल में रोग नियंत्रण पर अधिक ध्यान देना है कई रोग ऐसे होते हैं जिनके उपचार के बारे में किसान भाइयों को नहीं पता होता है । इसलिए हमने इस पोस्ट में नींबू में लगने वाले प्रमुख रोग (Major diseases affecting lemon) और उनके उपचार के बारे में नीचे जानकारी दि है इसलिए इन्हें पूरा पढ़ें।।
नींबू में कीट रोग नियंत्रण – Pest Control in Lemon
यह रोग पौधे की फूलों पत्तियों और फल पर असर डालता है। जिसके कारण यह पौधे पर घाव नुमा धब्बेदार आकर बना देता है और इसके कारण पौधे की पत्तियां झड़ने लगती है। इस रोग से बचाव हेतु एन्थ्रेकनोज के मिश्रण का छिड़काव पौधों पर नियमित रूप से करना चाहिए। इस दवाई के छिड़काव से नींबू की फसल से समस्त कीट संबंधित रोगो को नियंत्रित किया जा सकता हैं।
नींबू की फसल में काले धब्बे का रोग – Black Spot Disease in Lemon Crop
यह रोग फसल में सबसे पहले फल को प्रभावित करता है इस रोग के कारण नींबू पर काले धब्बे दिखाई देते हैं। फसल को इस रोग से बचने के लिए सबसे पहले आपको पौधों को पानी से धो देना चाहिए। उसके बाद पानी में सफेद तेल और कॉपर मिलकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।
नींबू की फसल में गोंद रिसाव रोग – Gum Leakage Disease in Lemon Crop
नींबू की फसल (lemon crop) में गोंद रिसाव रोग फसल में अधिक पानी भर जाने के कारण होता है। इस रोग के कारण पौधों की जड़े गलने लगती है और नींबू का पौधा पीला पड़ने लगता है। इस रोग से बचाव हेतु सबसे पहले आपको खेत में उचित और आवश्यकता अनुसार ही सिंचाई करनी है। और यदि खेत में पानी भरा हो, तो उसे निकाल देना है। उसके बाद फसल की मिट्टी में 0.2% मैटालैक्सिल, एमजेड- 72 और 0.5% ट्राइकोडरमा विराइड को मिलाकर पौधों में डालना है। इससे इस रोग से छुटकारा मिलता है।
नींबू की फसल में धफडी रोग – Scab Disease in Lemon Crop
फसल में इस रोग के कारण नींबू पर सिलेटी रंग की परत जमा हो जाती है। और यह नींबू के फल को खराब करती है। इस रोग से फसल को बचाने के लिए पानी में सफेद तेल व कॉपर को आपस में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।।
सफेद धब्बे का रोग – White Spot Disease
यह रोग एक फफूंदी की तरह होता है। इस रोग के कारण नींबू के पौधों पर रुई जैसी सफेदी जमी हुई दिखाई पड़ती है। इस रोग के कारण नींबू की पत्तियां मुड़कर टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है और बाद में इस रोग का असर सीधा फल पर पड़ता है। इसलिए इस रोग को समय पर नियंत्रित करना बहुत आवश्यक है। जब आपको इस रोग के बारे में पता चले तो आप इस रोग से प्रभावित पत्तियों और डालो को काट दें और रोग बढ़ने से पहले महीने में तीन-चार बार कार्बेनडाजिम का छिड़काव पौधों पर करें।
नींबू की फसल में आयरन व जिंक की कमी को नियंत्रण करना – Controlling iron and zinc deficiency in lemon crop
किसान भाइयों कभी-कभी नींबू की फसल (lemon crop) में जिंक आयरन की कमी के कारण नींबू के पौधों की ग्रोथ रुक जाती है और इन पोषक तत्वों की कमी से पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती है। इसलिए इस रोग से बचाव हेतु पौधों को समय-समय पर गोबर की खाद्य प्रदान करें और 10 लीटर पानी में दो चम्मच जिंक को मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें।।
नींबू में कैंकर रोग के छुटकारा – Lemon Cures Cancer
नींबू में लगने वाला कैंकर रोग नींबू के सबसे गंभीर रोगों (The most serious diseases of lemon) में से एक है। यह रोग जैथोमोनस एक्सोनोपोडिस जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु मनुष्य के लिए हानिकारक होते हैं और यदि इस रोग से ग्रसित फल यदि कोई व्यक्ति खाता है तो वह बीमार पड़ सकता है। यह नींबू के पेड़ों की जीवन शक्ति को प्रभावित करता है जिसके कारण पौधे की पत्तियां और फल समय से पहले ही झड़ जाते हैं।। आईए जानते हैं इसके उपचार
इस रोग से बचने के लिए किसान भाइयों को नींबू के पौधों पर स्ट्रेप्टोमाइसिल सल्फेट (streptomycin sulphate) का छिड़काव करना चाहिए और इस दवाई का छिड़काव किसान भाइयों को 15 दिनों में दो बार करना है। इससे यह रोग नियंत्रित होता है।
नींबू की फसल में रस चूसने वाले कीटों से छुटकारा – Getting Rid of Juice Sucking Insects in Lemon Crop
किसान भाइयों सामान्य रूप से नींबू के पेड़ की शाखों और पत्तियों का रस चूसकर उन्हें खराब करने वाले कीट मुख्यतः सिटरस सिल्ला, सुरंगी, चेपा होते हैं। इन रोगों पर नियंत्रण पाने के लिए ऑल इन वन मोनोक्राटोफॉस की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करना चाहिए।। और यदि इस रोग के कारण पौधों की शाखाएं सूख गई हो, तो उन्हें पेड़ से अलग करके उन्हें जला देवें ताकि यह रोग आगे ना बढ़
सके।।
नींबू का इतिहास – History of Lemon
किसान भाइयों नींबू की उत्पत्ति कहां हुई इसके तो कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है। लेकिन कई लोग यह मानते हैं कि नींबू का पौधा मूल रूप से भारत, उत्तरी म्यांमार एवं चीन का निवासी है और नींबू का खाने में प्रयोग लगभग दसवीं सदी तक हुआ था। इसके प्रमाण हमें यूरोप और अरब देशों के लेखों में मिलते हैं।
निम्बू की खेती के बारे में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न
सवाल – नींबू के पेड़ों में छाछ डालने से क्या होता है?
जवाब – जिस खेत में अपने नींबू लगा रखे हैं। उस खेत की मिट्टी में छाछ देने से नींबू के पौधे जल्दी बड़े होने लगते हैं और इनमें जल्दी फूल और फल आते हैं।
सवाल – नींबू के पौधों में कौन सी दवा डालें?
जवाब – जिस जगह पर नींबू के पौधे हैं। उस जगह पर खड्ड करके उसमें एक साल पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद डालें और पौधों पर प्लानोफिक्स (Planofix) दवा की उचित मात्रा का छिड़काव करें, इसके अलावा आप सहायक निदेशक उद्यान विभाग कार्यालय से संपर्क भी कर सकते हैं।
किसान हैल्पलाइन नंबर:– 18001801551, 18001806127
सवाल – एकड़ में नींबू के कितने पौधे लगते हैं?
जवाब – दोस्तों यदि आप निश्चित दूरी पर नींबू के पौधे लगाते हो, तो एक एकड़ में करीब 140 पौधे लगाए जा सकते हैं और नर्सरी में नींबू का एक पौधा लगभग ₹20 में मिल जाता है या फिर इसे आप घर पर भी तैयार कर सकते हैं। नींबू के पौधे लगभग 3-4 साल में फल देने लगते है।
सवाल – नींबू के पौधे को कीड़ों से कैसे बचाएं?
जवाब – नींबू की फसल (lemon crop) को कीड़ों से बचने के लिए आप पौधों पर नीम का स्प्रे और बेकिंग सोडा भी डाल सकते हैं। इसके अलावा आप जेट वाटर स्प्रे का भी इस्तेमाल करके इनसे छुटकारा पा सकते हैं। फसल को कीड़ों से बचने के लिए सप्ताह में दो से तीन बार पौधों पर जेट वाटर स्प्रे करें, इससे कीड़े आसानी से भाग जाते हैं। यदि आपका खेत जल भराव क्षमता वाला है, तो समय-समय पर पानी को बाहर निकलते रहे।
सवाल – नींबू का पेड़ कितने साल तक फल देता है?
जवाब – नींबू का एक पेड़ लगभग 3 से 4 सालों बाद फल देना शुरू होता है। यदि आप नींबू की खेती करते हो, तो आप 30 साल तक लगातार मुनाफा प्राप्त कर सकते हो।
Conclusion
उम्मीद करता हूं दोस्तों आपको हमारी पोस्ट पसंद आई होगी, आज की इस पोस्ट में हमने नींबू की खेती (Nimbu Ki Kheti) से लेकर इसका संपूर्ण इतिहास खोल दिया है। इस पोस्ट में हमने ऐसी कोई भी जानकारी अधूरी नहीं छोड़ी है। जिसको आपको अलग से रिसर्च करने की आवश्यकता पड़े, फिर भी यदि इस लेख में कोई कमी हो, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। हम अवश्य सुधार करेंगे।। यदि आपको पोस्ट पसंद आए हो, तो हमारी पोस्ट पर दोबारा आए, इसके लिए आप हमें सब्सक्राइब करें।। पोस्ट को लाइक करना ना भूले।…….