Improved Varieties of Papaya : आपको बता दे की पपीता एक प्रकार का फल होता है जिसकी खेती फल के रूप में की जाती है। पपीता खाने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है ,मनुष्य के शरीर के लिए पपीता काफी लाभदायक होता है ,पपीते की खेती कर किसानो को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। और इसकी मांग भी बाजार में अच्छी होती है ,पपीते की खेती जुलाई और सितम्बर में शुरू करनी चाहिए। भारत में पपीता 46 % हिस्से पर उगाई जाती है जो भारत के अनेक राज्यों में उगाई जाती है जैसे गुजरात, मध्य प्रदेश , कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र आदि।
पपीता व्यापारिक महत्वपूर्ण फसलों में से एक है पपीता की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और तापमान का होना भी आवश्यक है। इसके लिए 10 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है ,और इसकी खेती के लिए उच्च जल निकास वाकई दोमट मिटटी अच्छी मानी जाती है। और इसको भूमि में 45cm की गहराई में बोनी चाहिए। पपीते में मुख्य रूप से प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। तथा इसका प्रयोग प्रोटीन के पचाने, पेय पदार्थों को साफ करने, च्विंगम बनाने, पेपर कारखाने में, दवाओं के निर्माण में आदि में मुख्य रूप से किया जाता है ,इस पारा रपपीता बहुत ही उपयोगी मानी जाती है।
इस प्रकार किसानो को पपीते की अच्छी किस्मो को चयन कर बीजो की रोपाई करनी चाहिए। तभी किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकता है। वैसे तो पपीते की अनेक किस्मे आपको बाजार में मिल जाएगी। लेकिन कुछ किस्मे वैज्ञानिको के द्वारा विकसित की गयी है। पपीते के पौधे को एक बार लगने से यह 3 से 4 वर्ष तक फल दे सकता है। इसलिए पपीते की उन्नत और अच्छी किस्मो का चयन कर किसान अच्छा मुनाफा पा सकता है। इसलिए अगर आप भी पीपीते की खेती कर अच्छा लाभ लेना चाहते है तो सबसे पहले आपको पपीते की उन्नत किस्मो की जानकारी होने आवश्यक है आइये तो हम आपको पपीते की उन्नत किस्मो की जानकारी देंगे।
पपीता की उन्नत शील किस्मो की जानकारी
अर्का प्रभात किस्म
आपको बता दे की पपीता की यह किस्मे अधिक मात्रा में पैदावार देती है ,जिससे किसानो को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। यह किस्मे अन्य बेहतरीन किस्मो में से एक है। इस किस्म में फलो का वजन 1000 से 1200 तक मिलता है। और इसके फल कम उचाई के पोधो पर लगने शुरू हो जाते है। यह अच्छी गुणवत्ता वाली किस्म मानी जाती है। यह उभयलिंग प्रकृति की किस्म मानी जाती है।
पूसा बौना किस्म
आपको बता दे की इस किस्म के पेड़ अंडाकार आकर के होते है ,जो एक द्विअंगी प्रजाति
की किस्म होती है जिसको अर्थ – दी आग – अलग पोधो के बीच एक नर और एक मादा। इस किम के फलो का वजन 1 से 2 किलोग्राम होता है। इस प्रकार के पौधे उच्च घनत्व वाली खेती के लिए उपयुक्त माने जाते है।
पूसा डेलिशियस किस्मे
पपीता की यह किस्मे भी अच्छी पैदावार देती है ,इस किस्म के पौधे ज्यादा बड़े नहीं होते है ,और इनसे फल की उपज काफी अच्छी होती है। इसमें एक फल को औसत वजन 1 से 2 किलोग्राम तक पाया जाता है। पपीता की इस किस्म को वैज्ञानिको द्वारा 1986 में विकसित हुई थी। इस किस्म के पौधे 216 cm की लम्बाई तक होता है ,यह किस्म किसानो को काफी अच्छी पैदावार देती है।
पूसा जायन्ट किस्म
इस किस्म का प्रयोग सब्जी और पेठा बनाने में किया जाता है। इस किस्म के तने काफी मजबूत होते है ,जो आंधी – तूफान को भी झेल सकते है । इस किस्मे के प्रतेयक पौधे से प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 35 से 40 किवंटल की पैदावार देती है इस किस्म के फलो का आकर 2 – 3 किलोग्राम के आस – पास मिलता है।
रांची किस्म
यह किस्मे एक ही मौसम में कई प्रकार के फल देता है। इस किस्म को दक्षिण भारत में लोकप्रिय माना जाता है। इस किस्म को भारत में उगाई जाती है ,जिसको बिहार और झारखड में मुख्य रूप से उगाई जाती है। इस किस्म के फलो में पीला गुदा मिलता है
और इसके फल काने में काफी स्वादिष्ट होते है
इस प्रकार पपीते के अनेक उन्नत किस्मे मिलती है ,पपीते की कुछ अन्य किस्मे इस प्रकार है –
- सोलो
- महाबिंदु
- पूसा मेजेस्टी
- रेड लेडी ,
- पूसा ड्वार्फ
- पूसा नन्हा ,
- अर्का सूर्या