Red Lady Finger Cultivation ;आपको बता दे की भिंडी की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है। भिंडी की खेती से किसानो को अधिक मात्रा में मुनाफा प्राप्त होता है। हरी भिंडी तो सबने देखी होगी और खाई भी होगी ,परन्तु लाल भिंडी के बारे में अब भी कुछ लोग नहीं जानते है। लाल भिंडी का बाजारी भाव 100 से 500 रूपये तक होता है। आपको बता दे की बाजार में कई तरह की भिंडी मिल जाती है लेकिन लाल भिंडी बाजार में कभी -कभी दिखती है। आपको बता दे की लाल भिंडी को लोग अधिक पसंद करते है ,हरी भिंडी के मुकाबले लाल भिंडी में कैल्शियम ,आयरन ,और एंटी ऑक्सीडेंट जैसे कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते है।
इसकी खेती गर्म और आद्र जलवायु में की जाती है। लाल भिंडी बरसात के मौसम में बोई जाती है। डॉ बिजेंद्र सिंह के अनुसार इसमें लाल रंग एंथोसायनिन के कारण होता है। इसमें काम्पलेक्स B की मात्रा भी पाई जाती है। इससे BP ,शुगर और कोलेस्टोरल को कंट्रोल करने में भी मदद करता है। इससे सेहत से भी काफी लाभ होता है। लाल भिंडी को खाने से शुगर भी नियंत्रित हो जाता है। नवंबर और दिसंबर के महीने में इसके बीज को बोया जाता है। तथा जनवरी के महीने में इसको पौधा फसल देना शुरू कर देता है।
लाल भिंडी के लिए उचित तापमान और मिट्टी
लाल भिंडी के पौधे को दिन में 6 घंटे धुप की आवश्यकता होती है ,जिससे इसका पौधा अच्छे से विकास कर पता है। इसकी खेत खरीफ और बरसात के मौसम में की जाती है। इसके पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
लाल भिंडी की खेती के लिए कार्बनिक युक्त बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है इसके अलावा मिट्टी उच्च जल निकास वाली हो तो फसल की अच्छी पैदावार हो सकती है। इसकी खेती के लिए भूमि का PH मान सामान्य होना चाहिए। आप को बता दे की लाल भिंडी की खेती लगभग सभी जगह की जाती है। मिट्टी का PH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना
अच्छा माना जाता है।
भिंडी की खेती के लिए जलवायु और सही समय
इसकी खेती के लिए आद्र और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है ,इसके पौधे की लम्बाई 1 फ़ीट के आस पास होती है। यह फसल रबी और खरीफ दोनों में की जा सकती है। इसकी खेती को सर्दी में पड़ने वाले पाले से बचना चाहिए। क्योकि इसकी खेती को अधिक नुकसान होता है।
लाल भिंडी की खेत साल में दो बार की जा सकती है। फरवरी से मार्च तक और जून से जुलाई माह तक लाल भिंडी की खेती कर सकते है।
लाल भिंडी की उन्नत किस्मे
काशी लालिमा और आजाद कृष्णा
इस दोनों ही किस्म की भिंडी का रंग लाल पाया जाता है। और दोनों में ही पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा पाई जाता है। लगभग दोनों की कई विशेषता समान पाई जाती है। इस भिंडी की किस्म को विकास 23 साल बाद वाराणसी स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान में किया गया था। वैसे तो अन्य भिंडी की कई किस्मे होती है ,लेकिन लाल भिंडी की ये दो ही किस्म ही विशेष रूप से जानी जाती है।
खरपतवार नियंत्रण
आप को बता दे की लाल भिंडी की खेत में बह खरपतवार की आवश्यकता होती है ,इसलिए इसकी समय -समय पर निराई -गुड़ाई करनी चाहिए ,जिससे फसल की पैदावार में बढ़ोतरी दिखाई देगी। इसकी खेती में कम से कम 2 से 3 बार निराई -गुड़ाई करनी होती है ,जिससे ही अच्छी फसल होती है।
लाल भिंडी की खेती में सिचाई और उर्वरक की मात्रा
आप को बता दे की इसकी खेती के लिए अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता नही होती है ,और बारिश ने होने पर ही एक बार सिचाई करनी चाहिए। और इसकी पौधे को अच्छे पैदावार देने के लिए पौधे के विकास के समय सिचाई करे। गर्मी के मौसम से महीने में 1 बार सिचाई की आवश्यकता होती है ,अगर बारिश हो रही है ,तो सिचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
इसकी खेती में बीज की बुआई से पहले खेत को तैयार करने के बाद गोबर की खाद डालनी चाहिए ,ऐसा करने से खेत की मिट्टी के उर्वर सकती वैसे ही बनी रहती है। इसके अलावा आप खेत में रासायनिक खाद का प्रयोग भी कर सकते है इसके लिए खेत में 100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन ,60 कि.ग्रा. फास्फोरस ,50 कि.ग्रा. पोटाश भी डाल सकते है।
लाल भिंडी के पौधे में लगने वाले रोग व् रोगथाम के उपाय
आपको बता दे की लाल भिंडी के पौधे पर अधिक लाल मकड़ी का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है। और इसके अलावा मक्खी भी इसके पौधे पर पत्तियों का रस चूसकर पौधे को कमजोर करती है ,जिस वजह से इसका पौधा सूख जाता है और पीला पड़ जाता है। और पौधे को भरपूर पोषण नहीं मिलने पर पौधा विकास करना बंद कर देता है जिस कारण से पौधे में फल नहीं लगते है और खेत में उपज नहीं हो पाती है।
लाल भिंडी की खेती के लिए खेत की तैयारी और बुआई
लाल भिंडी की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार करने की आवश्यकता होती है ,जिसके लिए सबसे पहले खेती की अच्छे से जुताई करनी चाहिए और पुरानी खेती के अवशेषो को नष्ट करना चाहिए ,इसके बाद खेत में गोबर की खाद भी डालना आवश्यक होता है ,उसके बाद खेत की मिट्टी में गोबर की खाद को जुताई की सहायता से अच्छे से मिलाना चाहिए ,उसके बाद खेती को कुछ समय के लिए खुला छोड़ देना चाहिए। फिर खेत में एक जुताई के साथ पाटा लगवा देना चाहिए ,ताकि खेती समतल हो सके।
उसके बाद आप लाल भिंडी के बीजो को खेत में बो सकते है ,उसके लिए पहले बीजो को अच्छे से 10 से 12 घंटे पानी में भिगोकर रखे। उसके बाद कुछ देर के लिए छाया में सूखना चाहिए। उसके बाद लाइन में बीजो की बुआई करनी चाहिए।
लाल भिंडी की तुड़ाई और उपज
लाल भिंडी की तुड़ाई फूल आने के कुछ दिनों बाद फल आने लगते है ,जिससे फल को रंग लाल हो जाये और थोड़ी कच्ची -कच्ची हो तभी तोड़ लेनी चाहिए ,क्योकि भिंडी की सब्जी कच्ची भिंडी से अच्छी बनती है ,भिंडी की तुड़ाई के बाद उसको बाजार में बीच देते है।
आपको बता दे की सामान्य रूप से लाल भिंडी का उत्पादन सामान्य भिंडी से अधिक किया जाता है। इस लाल भिंड को बाजार में अधिक कीमत में बेचा जाता है ,बाजार में लाल भिंडी की कीमत 100 से 500 रूपये होती है ,जिससे किसानो को काफी मात्रा में मुनाफा प्राप्त होता है। इस प्रकार भिंडी की खेती कर किसान मालामाल हो सकता है।