साल 2018 में केंद्र सरकार ने एचपीसीएल में अपनी 51.1% हिस्सेदारी ओएनजीसी को बेच दी थी, उसके बाद से यह कंपनी सब्सिडियर बन गई, अब मौजूदा समय में यदि देखा जाए, तो ओएनजीसी में सरकार की हिस्सेदारी 58.93% रह गई है।
सरकारी तेल कंपनी ओएनजीसी का राइट्स इश्यू आ सकता है, जिसके माध्यम से हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन के ग्रीन प्रोजेक्ट की फंडिंग के लिए रकम जुटाने की तैयारी की गई है। इस खबर के फैलने के बाद से, हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन के शेयर में 7% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस सप्ताह के चौथे कारोबारी के दिन यह शेयर 329.55 पर पहुंच गया। शेयर की क्लोजिंग 6.93% की तेजी के साथ हुई।
क्या है प्लान?
न्यूज़ एजेंसी राॅयटर्स की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस साल बड़े राज्य के तेल रिफाइनर को क्लीन एनर्जी की तरफ बढ़ने में मदद करेंगी, जिसमें 300 बिलियन रुपए की इक्विटी मुहैया कराने की घोषणा की गई है।
सूत्रों के मुताबिक, कि केंद्र सरकार हिंदुस्तान पेट्रोलियम के विकल्पों पर भी विचार कर रही है, इसके अलावा तेल मंत्रालय ओएनजीसी द्वारा राइट्स इश्यू लांच करने की घोषणा पर वित्त मंत्री के बयान का इंतजार कर रहा है।
सरकार की कितनी होगी हिस्सेदारी?
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं, कि सरकार ने साल 2018 में अपनी 51.1% हिस्सेदारी ओएनजीसी को बेच दी थी, उसके बाद से यह कंपनी सब्सिडियर बन गई थी। यदि भारत के बड़े सरकारी रिफाइनर की बात की जाए, तो भारत पेट्रोलियम कॉर्प इंडियन ऑयल कॉर्प ने 220 बिलियन और 180 बिलियन के इश्यू लांच करने की घोषणा की है, सरकार की दोनों कंपनियों में 51.5% और 52.98% की हिस्सेदारी है।
सरकारी तेल कंपनी के शेयर बढ़ने से निवेशको को फायदा होगा, क्योंकि बहुत सारे निवेशक ऐसे शेयरों में पैसे लगाते हैं, जहां पर उनके पैसे सुरक्षित रहे और रिस्क कम हो, क्योंकि कुछ पेनी स्टॉक होते हैं, जो कम रुपए में ही होते हैं, लेकिन निवेशक उसमें पैसे लगाते हैं, तो उनके पैसे डूब जाते हैं, इसीलिए निवेशक सुरक्षित कंपनियों में पैसे लगाना चाहते हैं और खास तौर पर जो सरकारी कंपनियां होती है, उसमें निवेशक अधिक रुचि दिखाते हैं, क्योंकि यह अधिक सुरक्षित मानी जाती है।