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सोयाबीन की खेती की सम्पूर्ण जानकारी : उन्नत किस्मे ,उपयुक्त जलवायु ,मिट्टी और पैदावार

Written By Saloni Yadav
Soybean Farming
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Soybean Farming : सोयाबीन की खेती मूल रूप से पर्वी एशिया में की जाती है। सोयाबीन से तेल भी निकला जाता है ,इसमें प्रोटीन की मात्रा भी मूल रूप से पाई जाती है ,पंजाब में भी इस फसल को उगाया जाता है। इसकी खेती रेतीली और हल्की मिट्टी में नहीं की जा सकती है ,लेकिन चिकनी और दोमट मिट्टी में इसकी खेती करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है ,इसके अलावा इसकी खेती भुरभरी मिट्टी में भी अच्छी होती है। अतः इसकी खेती में फ़स्ल की अच्छी उपज के लिए अच्छे जल निकास की भूमि में खेती करनी चाहिए। इसमें पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में मिलते है ,और इसका सेवन मानव शरीर के लिए अधिक लाभदायक होता है।

सोयाबीन के अंदर प्रचुर मात्रा में 22 % वसा की मात्रा ,21 % कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ,44 % प्रोटीन और 13 % नमी पाई जाती है,इसके अलावा इसकी खेती सब्जी के लिए भी की जाती है ,इसकी सब्जी बहुत स्वादिष्ट बनती है ,गांवो में इसका उपयोग सब्जी बनाने में ज्यादा किया जाता है। इसके तेल का उपयोग आयर्वेदिक दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है ,आपको बता दे की इसके सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित की जा सकता है ,इसकी खेती को अधिक ठन्डे क्षेत्र में नहीं करना चाहिए ,इसके लिए नम और गर्म क्षेत्र होने चाहिए।

भारत में सोयाबीन का तिलहन फसलों में महत्वपूर्ण योगदान है ,भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से कर्नाटक ,महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश ,मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे आदि राज्यों में की जाती है। अगर आप भी सोयाबीन की खेती करने का मन बना रहे है तो आज हम आपको इसकी खेती कैसे करे ,इसके लिए उपयुक्त जलवायु ,मिट्टी ,तापमान और पैदावार की सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

सोयाबीन की खेती में उपयुक्त जलवायु और तापमान

आपको बता दे की इसकी खेती के लिए उष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है ,और इसकी खेती ठंडे क्षेत्रों में अच्छी पैदावार नहीं देती है ,इसलिए इसकी खेती के लिए उष्ण और नम जलवायु होनी आवश्यक है ,अधिक गर्म जलवायु में भी इसके पौधे खराब हो जाते है।

सोयाबीन की खेती के लिए अधिक और कम तापमान अच्छा नहीं होता है ,इसके लिए सामान्य तापमान अच्छा होता है ,सामान्य तापमान इसके पौधे को अच्छी पैदावार देता है ,बीजो को अंकुरित होते समय इसके लिए 20 डिग्री तापमान होना चाहिए। उच्च तापमान में इसके बीजो का अंकुरण अच्छे से होता है।

सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

इसकी खेती के लिए चिकनी मिट्टी अच्छी होती है ,इसके अलावा हल्की रेतीली मिट्टी में भी इसकी खेती नहीं की जा सकती है ,और भूमि अच्छे जल निकास वाली हो तो फसल की उपज अच्छी होती है ,इसके साथ ही भूमि का PH मान 7 होना चाहिए ,इससे अधिक नहीं होना चाहिए।

सोयाबीन की खेती की लिए उपयुक्त सिचाई और खरपतवार नियंत्रण

इसकी खेती को बीज रोपाई के समय में सिचाई की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है ,क्योकि इसकी खेती बारिश यानि बरसात के मौसम में की जाती है इसलिए इसकी फसल को पानी मिल जाता है ,अगर बारिश नहीं हो तो आवश्यकता होने पर ही सिचाई करनी चाहिए। इसके अलावा अच्छी उपज के लिए फसल की हल्की -हल्की सिचाई करनी चाहिए। अधिक मात्रा में सिचाई नहीं करे ,आवश्यकता के अनुसार ही सिचाई करे ,जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है।

इसकी खेती में खरपतवार को नियंत्रित करना आवश्यक होता है क्योकि खरपतवार खेती की पैदावार को कम करता है ,और इसकी खेती में खरपतवार नियंत्रण रासायनिक और प्राकृतिक दोनों तरीको से किया जा सकता है ,प्राकर्तिक तरीके से खेत की निराई -गुड़ाई करनी चाहिए। इसके पौधे की रोपाई के के 20 से 30 दिनों बाद आप पहली गुड़ाई कर सकते है ,इसके अलावा आप जरूरत होने पर भी खेत की गुड़ाई कर सकते है।

सोयाबीन की उन्नत किस्मे क्या है ?

सोयाबीन की कई उन्नत किस्मे होती है ,जो बाजार में हर समय पाई जा सकती है ,कुछ क़िस्म कम समय में भी अधिक पैदावार देती है और कुछ किस्मे अधिक समय में पैदावार देती है ,इसके कुछ किस्मे इस प्रकार है –

SL 525 किस्म

यह किस्म चमकदार और काले रंग में पाई जाती है ,इस किस्म का आकर सामान्य पाया जाता है। इस किस्म में तेल की मात्रा 21.6 के आस पास पाई जाती है। यह किस्म प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 25 किवंटल की पैदावार देती है।

NRC 7

यह किस्म पौध रोपाई के 85 से 95 दिनों के बाद पैदावार देना शुरू करती है। इस किस्म में बैंगनी रंग के फूल आते है। यह किस्म प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 25 से 30 किवंटल की पैदावार देती है।

JS 20 -29

एस्किसम का दाना पीला रंग लिए होता है और इसके बीज का रंग भी बैंगनी पाया जाता है। पर यह किस्म प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 25 से 30 किवंटल की पैदावार देती है।

NRC 86

इस किस्म के पौधे पर सफेद रंग के फूल आते है और यह किस्म प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 20 से 25 किवंटल की पैदावार देती है और यह किस्म बीज रोपाई के 90 से 95 दिनों के बाद पैदावार देना शुरू कर देती है।

सोया बिन की खेती में लगने वाले रोग और रोकथाम के उपाय

आपको बता दे की सोयाबीन के पौधे में अनेक प्रकार के रोग लग जाते है ,अनेक रोगो से पौधे के पत्तों पर सफेद और भूरे रंग के के धब्बे ही जाते है ,और फिर बाद में पत्तिया पीली पड़ जाती है और कुछ समय में ही पत्तिया पूरी तरह से नष्ट होकर गिर जाती है।

फली झुलसन रोग

यह रोग पौधे पर तब लग जाता है जब पौधे पर फूल बनने शुरू हो जाते है ,पौधे पर इस रोग के लग जाने से फसल की उपज कम हो जाती है। और पत्तियों को रंग पीला पड़ जाता है और सूखकर गिर जाती है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए बीज की बुआई से पहले केप्टान, थायरम और कार्बोक्सिन की उचित मात्रा में स्प्रै करनी चाहिए। इसके अलावा पौधे पर मेन्कोजेब का छिड़काव करना चाहिए ,ताकि रोग नष्ट हो जाये ,

तम्बाकू इल्ली

यह रोग पौधे पर और पौधे की पत्तियों पे सीधे आक्रमण करता है और पौधे की शाखाओ और पत्तियों को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। और जिससे फसल को अधिक मात्रा में हानि होती है। और उपज भी कम मात्रा में प्राप्त होती है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए इन्डोक्साकार्ब, रेनेक्सीपायर या प्रोपेनफास की उचित मात्रा में स्प्रै करनी चाहिए।

सोयाबीन की खेती के लिए खेत को कैसे तैयार करना चाहिए।

सोयाबीन की खेती के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए उसके बाद पुरानी फसल के अवशेषों को पूरी तरह से नष्ट करे। उसके बाद खेत में हिसाब से गोबर की खाद डालनी चाहिए। गोबर की खाद को अच्छे से मिट्टी में मिलाना चाहिए। उसके बाद खेत की जुताई करके खेत में पानी का पलेव करना चाहिए ,उसके बाद खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ देना चाहिए। उसके बाद खेत की फिर से जुताई करके खेत में पाटा लगवा देना चाहिए ,जिससे भूमि भुरभुरी हो जाती है ,उसके बाद खेत में फसल के अच्छी उपज होती है।

खेती में बीज की बुआई और सही समय

सोयाबीन की खेती जून और जुलाई में की जाती है ,और इसके बीजो की बुआई आजकल मशीनों के द्वारा की जाती है ,खेत में बीजो को पंक्तियों में लगाना चाहिए ,और पक्तियो के बीच 31 cm की दूरी होनी चाहिए ,और इसके साथ ही बीजो को जमीन में 2 से 3 cm की गहरी पर की जाती है।

सोयाबीन की खेती की कटाई

आप को बता दे की सोयाबीन की कटाई तब करनी चाहिए जब पौधे की पत्तिया पीली हो जाए और फली भी भूरे रंग की हो ,जाए। इसकी कटाई के बाद इसकी फलियों को अच्छी तरह सूखा ले और इनकी फलियों को पत्तों से अलग कर दे ,और उसके बाद इसको तैयार करने के लिए भेज दे।

सोयाबीन की खेती से होने वाली पैदावार

सोयाबीन की खेती से किसानो को अच्छी पैदावार प्राप्त होती है ,आपको को बता दे की सोयाबीन का बाजार में 4000 से 4500 रूपये प्रति किवंटल का भाव होता है। जिस हिसाब से किसानो को इसकी खेती से अधिक मात्रा में मुनाफा प्राप्त होता है। और सोयाबीन की खेती प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 25 से 30 किवंटल की पैदावार देती है।

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About Author

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां 2 साल कंटेंट राइटिंग का काम किया। अब 1 साल से एन एफ एल स्पाइस वेबसाइट में अपनी सेवा दे रही हूँ। शुरू से ही मेरी रूचि खेती से जुड़े आर्टिकल में रही है इसलिए यहां खेती से जुड़े आर्टिकल लिखती हूँ। कोशिश रहती है की हमेशा सही जानकारी आप तक पहुंचाऊं ताकि आपके काम आ सके।

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