---Advertisement---

गन्ने की खेत की उन्नत जानकारी : उन्नत किस्म ,और रोगथाम के उपाय

Written By Saloni Yadav
Sugar Cane Cultivation
---Advertisement---

Sugar Cane Cultivation : गन्ने की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है गन्ने का प्रयोग खाने के अलावा जूस बनाने में किया जाता है। और इसके जूस से गुड़ ,शक्कर ,और शराब बनाने में किया जाता है। यह एक ऐसी फसल है जिस पर जलवायु का कोई असर नहीं होता है। जिस कारण से यह एक सुरक्षित खेती भी कहलाती है। गन्ने को खाने से शुगर की पूर्ति होती है ,गन्ने से चीनी भी बनाई जा सकती है। गन्ने का प्रयोग बहुत चीजों को बनने में किया जाता है। गन्ने उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है और उपभोग के मामले में भी दूसरे स्थान पर है। भारत की महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है ,गन्ना। चीनी का मुख्य स्त्रोत गन्ना होता है। गन्ने की खेती किसानो को अधिक मुनाफा देती है। गन्ने ने विदेशी मुद्रा को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भमिका निभाई है गन्ना बॉस की जाती की फसल होती है। भारत में सबसे अधिक शक्कर उत्पादन महाराष्ट में किया जाता है। और दूसरे नंबर उत्तर प्रदेश में किया जाता है।

गन्ना सबसे ज्यादा ब्राजील और बाद में भारत, चीन, थाईलैंड, पाक्स्तिान और मैक्सीको में उगाया जाता है। आज के समय में किसानो ने गन्ने की खेती परम्परागत तरिके से की जाती है ,जिससे किसानो को अधिक मुनाफा होता है। गन्ने की खेती से किसानो को कई तरह के व्यवसाय करने को मिल जाते है । गन्ना एक सदाबहार फसल होती है। यह भारत की प्रमुख फसल मानी जाती है। यह गन्ने की एक गौण बीमारी है जो वायुजनित फफूंद फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम से प्रसारित होती है। गन्ना में फ्यूजेरियम सेकरोई नामक फफूंदी द्वारा विकसित होता है। गन्ने हल्के हो जाते हैं।

हम आपको बता दे की किसानो को इसकी खेती से अधिक मात्रा में मुनाफा प्राप्त होता है अगर आप भी गन्ने की खेती करने का मन बना रहे है तो हम आपको गन्ने की खेती कैसे करे ,उसके लिए उपयुक्त जलवायु ,मिट्टी ,तापमान और रोग और रोकथाम के उपाय की सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

गन्ने की खेती के लिए शुष्क और आद्र जलवायु की जरूरत होती है। इसके पौधे एक से डेढ़ वर्ष के बाद पैदावार देना शुरू करते है। जिस कारण से इसे विषम परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है। इस फसल को सामान्य वर्षा की आवश्यकता होती है। इस परिस्थियों में भी इसके पौधे ठीक से विकास करते है।

गन्ने की खेती को आरम्भ से अंत तक 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। जब इसके पौधे विकास करे तो 21 से 27 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। गन्ना अधिकतम 35 डिग्री तापमान को सहन कर सकती है। इसकी खेती में अधिक तापमान और कम तापमान हानिकारक होता है।

गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

गन्ने की खेती उपजाऊ मिट्टी में की जाती है ,इसके अलावा इसे गहरी दोमट मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। इस मिट्टी में खेती करने से इसकी पैदावार अधिक होती है। इसके लिए उचित जल निकास वाली भूमि में भी इसकी खेती अच्छी होती है। और जल भराव वाली भूमि में इसकी खेती हानिकारक होती है। क्योकि जलभराव भूमि में इसके पौधे खराब होने की संभावना होती है। इसकी खेती के लिए भूमि का PH मान सामान्य होना चाहिए। सामान्य मान वाली भूमि में इसकी खेती अच्छी पैदावार देती है। अच्छे देखभाल होने पर इसकी खेती किसी भी भूमि में की जा सकती है।

गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त सिचाई

गन्ने की खेती को सामान्य पानी की जरूरत होती है ,इसलिए इसकी खेती नम भूमि में की जानी चाहिए। इसकी खेती को शुरुआत में पानी की आवश्यकता होती है। गर्मी के मौसम में इसकी फसल को सप्ताह में एक बार पानी की आवश्यकता होती है। और सर्दियों के मौसम में इसकी फसल को 20 दिन के अंतराल पर पानी की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही बारिशके मौसम में अधिक बारिश होने पर पानी की जरूरत नहीं होती और कम बारिश में आवश्यकता के अनुसार पानी देना चाहिए।

गन्ने की खेती में खरपतवार नियंत्रण

गन्ने की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों तरीके का इस्तेमाल की जाता है। इसके पौधे को 4 से 5 माह तक पौधे को खरपतवार से बचना होता है। इसलिए खेत में प्राकृतिक तरीके से निराई -गुड़ाई करनी चाहिए ,इसकी खेती को 2 से 3 गुड़ाई की आवश्यकता होती है।

इसके साथ ही रासायनिक तरीके से खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए बीज रोपाई के बाद खेत में एट्राजिन की उचित मात्रा का छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा जब खेत में बीज अंकुरित होने लगे तब 2-4 डी सोडियम साल्ट का छिड़काव खेत में करना चाहिए।

गन्ने की उन्नत किस्मे

को. 7314

गन्ने की यह किस्म 10 से 11 महीनो के बाद पैदावार देती है। और इसके रस में 21 % शक्कर की मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा यह किस्म 350 किवंटल की पैदावार देती है।

को.सी. 671

गन्ने की यह किस्म 340 से 360 किवंटल की पैदावार देती है। यह किस्म 10 से 12 महीने बाद पैदावार देती है। इस किस्म के पौधे के रस में 22 % शक़्कर की मात्रा पाई जाती है।

को. जे. एन. 86-141

गन्ने की यह किस्म 100 टन प्रति हेक्टैयर क्षेत्र में पैदावार देती है। यह किस्म बीज रोपाई के 10 से 12 महीने बाद पैदावार देती है। और इसमें शक्कर की 23 % मात्रा पाई जाती है। इस किस्म में शक्कर की मात्रा अधिक पाई जाती है।

को.7318

गन्ने की इस किस्म में रस की मात्रा 20 % पाई जाती है। और यह किस्म बीज रोपाई के 12 से 13 महीने बाद पैदावार देती है। और इससे 400 किवंटल की पैदावार होती है।

को. जे. 86-600

यह किस्म बीज रोपाई के 12 महीनो के बाद पैदावार देती है और इसके रस में शक्कर की मात्रा 23 % पाई जाती है ,और यह प्रति हेक्टैयर के क्षेत्र में 500 से 600 किवंटल की पैदावार देती है।

को. जवाहर 94-141

यह किस्म 20 % शक्कर देती है। यह किस्म 13 से 14 महीनो के बाद पैदावार देना शुरू कर देती है। और प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 600 किवंटल की पैदावार देती है।

इसके अलावा इसकी अन्य किस्मे भी होती है। जो इस प्रकार है को.जवाहर 86-2087 , को. जे. एन. 9823 ,को. 94008 ,Co Pant 90223 ,Cos 95255 ,Co 9814 , Co 1148 और Co 118 आदि किस्मे है

गन्ने की खेती के लिए खेत की तैयारी

गन्ने की खेती के लिए सबसे पहले की खेती की अच्छे से जुताई करनी चाहिए। और पुरानी फसल के अवशेषों को पूरी तरह से नष्ट करना चाहिए। फिर खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। खेत की पहली जुताई करे तब खेत में 15 गाड़ी के आसपास गोबर की खाद डालनी चाहिए। उसके बाद खेत की मिट्टी में गोबर की खाद को अच्छे से मिला देना चाहिए। फिर भूमि को नम करने के लिए खेत में पानी का पलेव करना चाहिए। उसके बाद जब भूमि ऊपर से थोड़ी सूख जाये तब उसमे जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाये और फसल की पैदावार अच्छे से हो सके।

खेत में रोपाई से पहले 250 KG एन. पी. के. (12 32 16) की मात्रा का छिड़काव करे ,और 3KG सल्फर WDG की मात्रा को 100 KG पानी में मिलाकर डेढ़ से दो महीने के तैयार पौधों पर छिड़कना चाहिए।

गन्ने के बीजो की सही रोपाई और समय

गन्ने की रोपाई दो विधि से की जा सकती है एक विधि द्वारा रोपाई और दूसरी समतल विधि द्वारा गन्नो की रोपाई।

फरो विधि द्वारा रोपाई

गन्ने रोपाई की यह विधि कम प्रयोग में ली जाती है। गन्ने की रोपाई के लिए खेत में नालियों को तैयार किया जाता है ,उसके बाद नालियों को 2 से 3 फ़ीट की दूरी पर बनाया जाता है। और बीजो को नालियों में 1 फ़ीट की दुरी पर लगाया जाता है। नालियों के दोनों और पानी रोकने की आड़ी बनाई जाती है। कम बारिश होने पर खेत में पानी की कम नहीं हो और अधिक बारिश होने पर आड़ी को खोल देना चाहिए।

समतल विधि

इस विधि का प्रयोग किसान आज भी करता है इस विधि में खेत में 2 फ़ीट की दुरी पर नालियों को तैयार किया जाता है। नालियों में तीन आखो वाली गन्ने के टुकड़े को डाल दिया जाता है। इसके बाद खेत में पाटा लगवा देना चाहिए और खेत को समतल कर देना चाहिए। इस विधि से किसान भाई गन्ने की बीज रोपाई करना पसंद करते है।

गन्ने के पौधे में लगने वाले रोग व् रोकथाम के उपाय

लाल सडन रोग

यह रोग पोधो पर कम दिखाई देता है ,यह रोग गन्ने के पौधे में अंदर की तरफ लग जाता है। गन्ने को फाड़ने के बाद इस रोग का पता चलता है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए बीजो को खेत में बोन से पहले कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा से उपचारित कर लेना चाहिए।

कंडुआ रोग

यह रोग पौधे पर किसी भी अवस्था में दिखाई दे सकता है ,क्योकि इस रोग से प्रभावित पौधा पतला और लम्बा हो जाता है। इससे पौधा काला पड़ जाता है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पोधो पर कार्बेन्डाजिम या कार्बोक्सिन की उचित मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।

पाईरिल्ला

यह रोग पौधे पर बारिश के मौसम में दिखाई देता है। यह रोग पौधे की पत्तियों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है ,जिससे पत्तिया काली पड़ जाती है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौधे पर क्विनालफॉस 25 ई. सी. या मैलाथियान 50 ई. सी. का घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।

सफ़ेद मक्खी

यह एक प्रकार की मख्खी होती है जो पौधे की पत्तियों पर आक्रमण करती है। यह पत्तियों का पूरा रस चूस लेती है। जिससे पत्तिया पीली हो जाती है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौधे पर एसिटामिप्रिड या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करना चाहिए।

गन्ने की फसल की पैदावार से मिलने वाला लाभ

गन्ने की फसल को तैयार होने में 12 महीनो का समय लग जाता है। इसकी कटाई भूमि की सतह पर ही की जाती है। यह फसल एक हेकियार के क्षेत्र में 300 किवंटल की पैदावार देती है। इसकी खेती की अच्छी देख रेख करे तो 1000 किवंटल की पैदावार देती है। वैसे तो गन्ने का बाजारी भाव 300 रूपये के आस पास होता है। इसकी खेती कर किसानो को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है।

डिस्क्लेमर: वेबसाइट पर दी गई बिज़नेस, बैंकिंग और अन्य योजनाओं की जानकारी केवल आपके ज्ञान को बढ़ाने मात्र के लिए है और ये किसी भी प्रकार से निवेश की सलाह नहीं है। कोई भी निवेश करने से पहले आप अपने सलाहकार से सलाह जरूर करें। बाजार के जोखिमों के अधिक योजनाओं में निवेश करने से वित्तीय घाटा हो सकता है।

About Author

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां 2 साल कंटेंट राइटिंग का काम किया। अब 1 साल से एन एफ एल स्पाइस वेबसाइट में अपनी सेवा दे रही हूँ। शुरू से ही मेरी रूचि खेती से जुड़े आर्टिकल में रही है इसलिए यहां खेती से जुड़े आर्टिकल लिखती हूँ। कोशिश रहती है की हमेशा सही जानकारी आप तक पहुंचाऊं ताकि आपके काम आ सके।

For Feedback -nflspice@gmail.com
---Advertisement---