Tobacco farming : तम्बाकू की खेती नशीले पदार्थ के रूप में की जाती है। इसकी खेती में कम खर्च और अधिक बचत होती है। तम्बाकू का सेवन मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक माना जाता है। तम्बाकू का दूसरा नाम धीमा जहर है। तम्बाकू का प्रयोग सिगरेट, बीडी, सिगार, पान मसालों, जर्दा और खैनी जैसी बहुत सारी चीज़ो को बनाने में किया जाता है। इन सभी का प्रयोग वर्तमान समय में अधिक किया जाता है ,चूकि लोगो को पता ही की इसके सेवन से स्वास्थ पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसकी खेती करके किसानो को काफी लाभ मिलता है। तम्बाकू को सुखाकर धुआं एवं धुंए रहित नशे की चीजों के सेवन में इस्तेमाल किया जाता है।
तम्बाकू की खेती किसानो को कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। यह नगदी फसल होती है। यह सोलेनेसी (Solanaceae) परिवार से सम्बन्ध रखता है। इसका वैज्ञानिक नाम निकोटियाना टैबैकम (Nicotiana tabacum) और साधारण नाम खैनी, सुरती, मीठा जहर है। तम्बाकू में निकोटिन की मात्रा ज्यादा होने से इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल दवाएं बनाने में भी किया जाता है। तम्बाकू को उपयोग अधिक मात्रा में होने लगा है ,इस कारण दुनिया में कई घर उजड़ चुके हैं और कई घर की महिलाएं विधवा हो चुकी है।
हम आपको बता दे की तम्बाकू की खेती से जुडी जानकारी का पता होने जरूरी है ताकि आपको फसल को उगने में कोई समस्या नहीं हो। अगर आप भी तम्बाकू की खेती करना चाहते है तो हम आपको इसकी खेती से जुडी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान
तम्बाकू की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए 100 cm वर्षा की आवश्यकता है इसके पौधे को अच्छे से विकसित होने के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है इसकी खेती के लिए पौधे को पकने के समय अधिक धूप की आवश्यकता होती है। इसकी खेती को समुद्र तल से तक़रीबन 1800 मीटर की ऊंचाई पर करना उचित माना जाता है।
तम्बाकू की खेती के लिए बीजो को अंकुरित होने के लिए 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। और पौधे के विकास के लिए 20 डिग्री के आसपास होना चाहिए। इसकी खेती के लिए पौधे में पत्तियों को पकने के लिए उच्च तापमान और अधिक धूप की आवश्यकता होती है। ज्यादा अधिक तापमान इसकी खेती के लिए हानिकारक होता है।
तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
तम्बाकू की खेती के लिए हल्की और भुरभुरी तथा लाल दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए भूमि में जलभराव की समस्या नहीं होनी चाहिए। इसकी खेती के लिए भूमि का PH मान 6 से 8 के मध्य होना चाहिए ,जल भराव होने से अक्सर पौधों के ख़राब होने की स्थिति बन जाती है। जिससे पैदावार भी प्रभावित होती है।
तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त सिचाई
तम्बाकू की खेती के लिए खेत में पौध रोपाई के तुरंत बाद सिचाई की जानी चाहिए ,उसके बाद सिचाई 15 दिन के अंतराल पर की जानी चाहिए। इससे पौधे अच्छे से वृद्धि कर पाते है। पौधे की कटाई से 15 से 20 दिन पहले इसकी सिचाई नहीं करनी चाहिए। तम्बाकू की खेती के लिए खेत को अधिक मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है।
तम्बाकू की खेती के लिए उर्वरक की मात्रा
तम्बाकू की खेती के लिए खेत की मिट्टी में पोषक तत्व की मात्रा अधिक होनी चाहिए। उसके लिए खेत में गोबर की खाद का प्रयोग भी कर सकते है। उसके बाद इसको मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए। इसके आलावा आप खेत में रासायनिक तरीका का प्रयोग कर सकते है। इसके लिए नाइट्रोजन 80 किलो,फॉस्फेट 150 किलो, पोटाश 45 किलो और कैल्शियम 86 किलो को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में आखरी जुताई के समय स्प्रै करनी चाहिए।
तम्बाकू की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण
तम्बाकू की खेती के लिए खेत में रासायनिक तरीके से निराई गुड़ाई करनी चाहिए। खेत की पहले गुड़ाई पौध रोपाई के 20 से 25 दिनों के अंतराल पर करे। उसके बाद दूसरी गुड़ाई भी 20 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। तम्बाकू की खेती को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है क्योकि इसकी खेती के से बीज और तम्बाकू दोनों प्राप्त होते है। तम्बाकू की अधिक पैदावार के लिए इसकी फूलो की कलियों को तोड़ देना चाहिए। इसकी पैदावार में भी अच्छी वृद्धि होगी। इसकी खेती बीजो के लिए की जाती है इसके लिए डोडो को नहीं तोडना चाहिए।
तम्बाकू की उन्नत किस्मे
तम्बाकू की खेती की कई उन्नत किस्मे पाई जाती है। इसकी मुख्य रूप से दो प्रजातिया होती है। तम्बाकू से अनेक पदार्थ प्राप्त होते है – सिगरेट सिगार और हुक्का तम्बाकू आदि है ,इसकी किस्म को निकोटिन की मात्रा के आधार पर तैयार किया जाता है।
निकोटिना टुवैकम किस्म
तम्बाकू की यह किस्म अधिक उगाई जाती है ,इस किस्म के पौधे लम्बे तथा आकार में चौड़े होते है। इस किस्म के पोधो पर आने वाले फूल का रंग गुलाबी होता है। इस किस्म की उपज अधिक होती है। इस किस्म के पौधे का प्रयोग सिगरेट, सिगार, हुक्का और बीडी आदि को बनाने में अधिक जाता है। एस्किसम की अन्य किस्म भी होती है जो इस प्रकार है –
- एमपी 220
- टाइप 238
- सीटीआरआई स्पेशल
- वर्जिनिया गोल्ड
- फर्रुखाबाद लोकल
- मोतीहारी
- पीएन 28
- एनपीएस 2116
- वर्जिनिया गोल्ड
- हरिसन स्पेशल,
निकोटीन रस्टिका किस्म
यह तम्बाकू की किस्म दूसरी है। इस किस्म की पत्तिया रूखी और भारी होती है। इस किस्म में सुगंध अच्छी आती है। इसकी पत्तिया सूख जाने के बाद काली हो जाती है। इस किस्म के लिए ठंडा मौसम अधिक उपयुक्त होता है। इस किस्म का प्रयोग खाने और सुघने में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग हुक्का पीने में किया जाता है। इस किस्म के अन्य किस्मे भी होती है ,जो इस प्रकार है –
- हरी बंडी
- भाग्य लक्ष्मी
- कोइनी, सुमित्रा
- डीजी 3
- ह्यइट वर्ले,
- पीएन 70
- गंडक बहार
- रंगपुर,
- पीटी 76
तम्बाकू की पौध को तैयार करना
तम्बाकू की खेती में बीजो से पौध को तैयार किया जाता है उसके बाद खेत में पौध को लगाया जाता है पोधो को नर्सरी में तैयार करना चाहिए। पोधो को डेढ़ महीने पहले तैयार कर लेना चाहिए। इसके बाद क्यारियों को तैयार किया जाता है। क्यारियों को 5 मीटर से दो गुना तैयार कर लेना चाहिए। उसके बाद गड्डे में गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए।
पौध को खेत में लगाने के लिए नर्सरी में पौध को एक महीने पहले तैयार करना चाहिए।
इसके बाद उसमे हजारे के माध्यम से पानी देना चाहिए। इसके बाद क्यारियों में बीजो को पुलाव से अच्छे से ढक दे। पोधो को अगस्त और सितम्बर के महीने में तैयार करनी चाहिए।
तम्बाकू की खेती के लिए खेत को तैयार करना
तम्बाकू की खेती के लिए खेत को अच्छे से साफ़ करना चाहिए। उसके बाद खेत की अच्छे से जुताई की जानी चाहिए। उसके बाद खेत में पुरानी फसल की खेती के अवशेषों को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। उसके बाद खेती की गहरी जुताई की जानी चाहिए। फिर आप खेत में गोबर की खाद डालनी चाहिए ,उसके बाद खेत में पानी से पलेव कर देना चाहिए ,कुछ देर के लिए खेत को खुला छोड़ देना चाहिए। ताकि खेत की मिट्टी को अच्छे से धूप मिल सके उसके बाद खेत की फिर एक बार गहरी जुताई करनी चाहिए ,जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाये और उसके बाद खेत में पौध रोपाई के लिए गड्डे खोदने चाहिए।
तम्बाकू की पौध की रोपाई
इसके पोधो की रोपाई इनकी किस्मो के अनुसार की जाती है। तम्बाकू की सुघने वाली किस्म को दिसंबर के महीने में और सिगार और सिगरेट की किस्म को अक्टूबर में लगाना चाहिए ,इसको अक्टूबर से दिसंबर की महीने में कभी भी लगा सकते है। ध्यान रहे की पोधो से पोधो की दुरी दो फ़ीट की होनी चाहिए। और प्रत्येक मेड पर एक मीटर की दुरी होनी चाहिए। इसकी जड़ो को 3 से 4 cm की गहराई पर लगानी चाहिए। पोधो को शाम के समय लगाना चाहिए क्योकि इससे पौधे बीज अंकुरित अच्छे से हो सके।
तम्बाकू के पोधो में लगने वाले रोग और रोकथाम के उपाय
तम्बाकू की खेती में कई प्रकार के रोग देखने को मिल जाते है ,यह रोग फसल में पत्तियों को हानि पहुंचते है तथा इस रोग के होने से फसल की पैदावार भी प्रभावित होती है। इसके रोग और रोकथाम के उपाय इस प्रकार है
ठोकरा परपोषी किस्म
यह एक प्रकार का खरपतवारी रोग है इस रोग के होने से फसल को अधिक हानि होती है। यह रोग पोधो का विकास रोक देता है। इसका रंग सफेद पौधे जैसा होता है तथा इसमें नीले रंग के फूल दिखाई देते है।
रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए खेत में ठोकरे दिखाई दे तो उसे गुड़ाई कर निकल दे |
तना छेदक कीट रोग
यह रोग पौधे के तने पर लावा के रूप में लगता है। इस रोग के लगने से पौधा मुरझा जाता है। और पत्तिया पीली हो जाती है। यह रोग तने को अंदर से खाकर खोखला कर देता है ,यह रोग लावा के रूप में होता है।
रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पोधो पर प्रोफेनोफॉस या कार्बेनिल दवा का उचित मात्रा
छिड़काव करना चाहिए।
सुंडी रोग
इस रोग को गिडार के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग कोमल भागो को खाकर फसल की पैदावार को कम कर देता है। यह रोग कई रंगो का होता है – लाल, हरा, काला।
यह एक सैंटीमीटर लम्बा होता है।
रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पोधो पर प्रोफेनोफॉस या पायरीफास का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए |
पर्ण चिट्टी रोग
तम्बाकू के पोधो पर यह रोग देखने को मिल जाता है। यह रोग ठन्डे मौसम में देखने को मिल जाता है। इस रोग के होने से इसकी पत्तिया भूरे रंग की हो जाती है। जिससे पोधो पे काफी असर पड़ता है
रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौधे पर बेनोमिल 50 W.P. की उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए।
तम्बाकू के पौधे की कटाई
तम्बाकू की फसल की कटाई 120 से 130 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है उसके बाद इसकी कटाई करनी चाहिए। इसके पेड़ के पत्ते सूख जाये और कठोर हो जाये तब इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। इसको खाने और सुघने के लिए पोधो की पत्तियों का इस्तेमाल की जाता है। इसका उपयोग सिगरेट, हुक्का, बीड़ी और सिगार के इस्तेमाल में इसके डंठल सहित इसको उपयोग किया जाता है। तम्बाकू को तैयार करने के लिए पहले
सड़ाया गलाया जाता है। फिर उसको काटकर उसे दो से तीन दिन तक अच्छे से सूखा लिया जाता है, इस दौरान इसके पौधों को पलटते रहना चाहिए। तथा इसको मिट्टी में रख दिया जाता है। तम्बाकू के पौधे में जितनी नमि होगी उतनी ही इसकी गुणवत्ता अच्छी होगी। इसके बाद पौधे की कटाई करके तैयार किया जाता है।
तम्बाकू की खेती से प्राप्त लाभ
तम्बाकू की खेती को बेचने में आसानी होती है। फसल को खेत में तैयार होते ही इसकी
बिक्री होने लग जाती है। और पैदावार की बात करे तो प्रति हेक्टैयर के खेत में अच्छी कमाई हो सकती है। यह फसल कम लागत में अच्छी पैदावार देती है और इससे किसानो को अच्छा मुनाफा होता है।