टमाटर की खेती की सम्पूर्ण जानकारी : उन्नत किस्मे और पैदावार
Jun 26, 2023, 12:12 IST
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Tomato cultivation : टमाटर भारत की व्यापारिक फसल है। टमाटर का वानस्पतिक नाम लाइकोपोर्सिकान एस्कुलेंटम मिल है वर्तमान में इसे सोलेनम लाइको पोर्सिकान कहा जाता है। आलू ,प्याज के बाद अगर किसी सब्जी का जिक्र किया जाता है तो वह है टमाटर। टमाटर सब्जी है या फल इस बात को लेकर लोगो में भ्र्म होता है वैसे हम आप को बता दे की टमाटर को वैज्ञानिक तौर पर फल कहा जाता है जबकि टमाटर में अन्य फल की अपेक्षा कम शक्कर होती है ,इसलिए ये इतना मीठा नहीं होता है। आमतौर से टमाटर एक तरह की सब्जी माना जाता है टमाटर में कैरोटीन नामक वर्णक पाया जाता है टमाटर का प्रयोग त्वचा की देखभाल में भी किया जाता है। इसका प्रयोग अन्य सब्जियों के साथ स्वाद बढ़ाने में भी किया जाता है। टमाटर में विटामिन, पोटेशियम के अलावा कई प्रकार के खनिज तत्व पाए जाते है। जो मानव की स्वस्थ के लिए लाभकारी होते है आजकल हर समय बाजार में टमाटर की मांग होती है।टमाटर को आप कच्चा व् पकाकर भी खा सकते है। पहली बार टमाटर की खेती दक्षिण अमेरिका के पेरू इलाके में की गयी थी। भारत में टमाटर की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश आदि जिलों में की जाती है पंजाब की बात करे तो रोपड़, जालंधर, होशियारपुर और अमृतसर जिले में इसकी खेती की जाती है। साथ ही कुछ इलाकों में टमाटर की खेती देखी जाती है विश्व में टमाटर उत्पादन में भारत में दूसरा स्थान है। अगर आप भी टमाटर की खेती करने का मन बना रहे है तो हम आप को टमाटर से जुडी सम्पूर्ण जानकारी बतायेगे
टमाटर के लिए उपयुक्त तापमान
टमाटर की खेती के लिए 10-25°स तापमान की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही कम तापमान से टमाटर का विकास रुक जाता है ,टमाटर की खेती पाला सहन नहीं कर सकती है। टमाटर का लाल रंग होने पर 21-24 डिग्री से.ग्रे तापमान होना आवश्यक होता है। इसी कारण से सर्दियों में टमाटर का रंग लाल अधिक होता है। तापमान 38 डिग्री से.ग्रे से से अधिक होने पर टमाटर के फूल व् फल गिरने लगते है जिससे पैदावार अच्छी नहीं होती है।टमाटर के लिए उपयुक्त मिट्टी
टमाटर की फसल के लिए मिट्टी का PH मान 7-8.5 होना चाहिए। टमाटर की फसल एक ऐसी फसल है जो किसान को अच्छी पैदावार देती है वैसे तो टमाटर को किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है जैसे की दोमट, काली, लाल मिट्टी,रेतली मिट्टी, चिकनी आदि मिट्टी है। इन मिट्टी में पानी निकासी अच्छे से हो जाता है इसलिए इन मिट्टी में भी पैदावार अच्छी हो जाती है।टमाटर की बुआई का सही समय
टमाटर की खेती के लिए सबसे पहले खेत की 2 -4 बार जुताई की जाती है ,खेत की जुताई की बाद गोबर की खाद को डालना चाहिए फिर से खेत को जुताई करके समतल करना चाहिए। इसके बाद 60 -45 cm की दुरी पर रोपाई करनी चाहिए। टमाटर की बुआई का सही समय सर्दी में होता है अगर आप जनवरी में रोपाई करनी है है तो नवंबर के महीने में नर्सरी में पौध को तैयार करना होगा। अगर गर्मी की बात करे तो दिसंबर और जनवरी में बुआई की जाती है। किसान मार्च में टमाटर की अच्छी पैदावार ले सकता है।टमाटर की खेती में उर्वरक की मात्रा
हम आप को बता दे की टमाटर की खेती को पोषक तत्वों की जरूरत होती है इसलिए जुताई करते अप्प खेत में प्रति हेक्टैयर के हिसाब से गोबर की खाद को डालनी चाहिए। गोबर की खाद के अलावा आप रासायनिक खाद भी डाल सकते हो किसान जुताई के समय नाइट्रोजन ,पोटास ,फास्फोरस का छिड़काव भी कर सकते है।खरपतवार नियंत्रण
हम आप को बता दे की कई खेतो में खरपतवार की समस्या अधिक होती है यदि आप एस समस्या से छुटकारा पाना चाहते है तो लासो-2 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर कि दर से पौधे रोपाई से पूर्व डालना चाहिए। इससे इसकी उपज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। और आवश्यकता के अनुसार खेत की निराई -गुड़ाई करनी चाहिए। एक बात को ध्यान रखे की जब फसल में फल ,फूल बनने के अवस्था में निराई -गुड़ाई नहीं करनी चाहिए।टमाटर की खेती में सिचाई
सिचाई की बात करे तो सर्दियों के मौसम में 6 -7 दिनों के फासले पर सिचाई की जाती है और गर्मियों में 10 से 15 दिनों के फासले पर सिचाई की जाती है। टमाटर की फसल में पानी की अधिक जरूरत होती है। अगर इस समय आप पोधो में पानी नहीं डालेंगे तो फूल झड़ना शुरू ही जाते है। और फल की पैदावार भी कम होती है। इसलिए सिचाई पर ध्यान दे जिससे पैदावार अच्छी हो सकती है।टमाटर की उन्नत किस्मे
HS 101
यह किस्म सर्दियों में उगाई जाने वाली है इनके टमाटर गोल और रसीले होते है। और इस किस्म का पौधा छोटा होता है। यह किस्म पत्ता मरोड़ बीमारी रोधक है।पंजाब केसरी
इसमें सुक्रोस की मात्रा 7.6 प्रतिशत होती है। यह किस्म 2016 में जारी की गयी थी। औसतन उपज 405 क्विंटल प्रति एकड़ मानी जाती है। इस किस्म का औसतन भार 11 ग्राम होता है।पंजाब वरखा
यह 2015 ने जारी की गयी थी। इसकी औसतन उपज 934 क्विंटल प्रति एकड़ होती है और सुक्रोस की मात्रा 5.5 प्रतिशत होती है।पंजाब सरताज
यह किस्म 2009 में जारी की गयी थी। यह किस्म बारिश के मौसम के लिए उपयुक्त मानी जाती है। और औसतन उपज 898 क्विंटल प्रति एकड़ मानी जाती है।पंजाब स्वर्ण
यह किस्म 2018 में जारी की थी। इसके पत्ते हरे रंग की होते है। इस किस्म के फल अंडाकार होते है। इसकी औसतन पैदावार मार्च में 66 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।TH -1
यह 2003 में जारी की थी। इसका भार 85 ग्राम होता है तथा उपज 245 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसके फल का रंग गहरा लाल व् गोल होता है।पंजाब उपमा
यह किस्म बारिश वाले मानसून के अनुकूल होती है। इस किस्म की टमाटर रसीले होते है। तथा रंग लाल होता है और औसतन पैदावार 220 कि्ंवटल प्रति एकड़ होती है।पंजाब रट्टा
इसकी पहली तुड़ाई 125 दिनों के बाद की जाती है। औसतन उपज 225 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।पंजाब छुहारा
यह किस्म नाशपती के आकार की होती है। लाल तथा मोटे छिलके की होती है ,यह किस्म 7 दिनों तक मंडी में बिकने योग्य होती है। इसकी औसतन पैदावार 325 क्विंटल प्रति एकड़ मानी जाती है।पंजाब NR -7
यह जड़ गलन रोधक किस्म मानी जाती है इसके पौधे छोटे होते है। फल रसीले होते है। तथा औसतन पैदावार 175-180 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसके अलावा टमाटर की दो किस्मे भी पाई जाती है जो इस प्रकार है -देसी किस्म
- पूसा रूबी
- पूसा-120
- पूसा शीतल
- पूसा गौरव
- अर्का सौरभ
- अर्का विकास
- सोनाली
हाइब्रिड किस्मे -
- पूसा हाइब्रिड-1
- पूसा हाइब्रिड-2
- पूसा हाईब्रिड-4
- अविनाश-2
- रश्मि