भारत में आज भी लगभग 80 फ़ीसदी किसान पारंपरिक खेती करते हैं, और इसीलिए साल दर साल उनकी पैदावार कम होती जा रही है और बहुत सारे किसान अब खेती करने में अधिक रुचि नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन यदि आप वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल करके खेती करते हैं, तो इससे आपको काफी लाभ हो सकता है।
Bikaner कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने वैज्ञानिक खेती को लेकर कहीं बड़ी बात
Bikaner कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर प्रकाश सिंह शेखावत का मानना है, कि वर्तमान समय में कृषि विज्ञान बहुत उन्नत कार्य कर रहा है और यदि किसान वैज्ञानिक तकनीकी का इस्तेमाल करके जुताई बुवाई करते हैं, तो उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा हो सकता है, उनका मानना है, कि किसानों को फसल बोने से पहले मिट्टी की जांच करनी चाहिए और यदि मिट्टी में कोई खराबी आती है, तो उन्हें सबसे पहले उसका समाधान करना चाहिए, क्योंकि यदि मिट्टी में कोई खराब रहती है, तो उत्पादन भी बेहतर नहीं होगी।
प्रोफेसर का मानना है, कि भारत में खेती वर्षा के ऊपर अधिक निर्भर करती है और सिंचाई के लिए इतना पर्याप्त जल नही है, कि सिंचाई किया जा सके, इसीलिए हमें कृषि तकनीक को अपनाना होगा, उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार इस बार 10 केंद्रो पर बीज उत्पादन करने वाली है।
इस कार्यक्रम के दौरान डिबिया कला सरपंच के प्रतिनिधि रामाराम चांगल भी मौजूद रहे तथा गब्बर सिंह राठौड़, सुरेंद्र सिंह शेखावत, विजय सिंह भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
सरकार को देना होगा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बढ़ावा।
सरकार वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान को प्रेरित कर रही है तथा कई सारे संस्थान भी बनाए गए हैं, जहां पर किसानों को ट्रेनिंग दिया जा रहा है तथा कुछ संस्थानों में सर्टिफिकेट भी दिया जा रहा है। खेती के नए तरीके अपनाकर खेती को एक अलग मुकाम पर लाया जा सकता है। पहले के समय में भारत को कृषि उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता था, लेकिन इस समय अमेरिका और चीन कृषि क्षेत्र में अव्वल नंबर पर है और यदि भारत को भी उससे आगे निकलना है, तो उसे वैज्ञानिक खेती का सहारा लेना होगा।
खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र के किसान जो कम पढ़े लिखे होते हैं, उन्हें इसके बारे में अधिक जागृत करना होगा जिससे वह भी इसका फायदा उठा सके, क्योंकि खासतौर पर खेती ग्रामीण क्षेत्रों में ही अधिक की जाती है और ऐसा माना जाता है, कि ग्रामीण क्षेत्र के किसान के पास उतना ज्ञान नहीं होता है, इसीलिए उन्हें बेहतर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।
सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी भी दे रही है, जिससे यदि वैज्ञानिक खेती करने के लिए यंत्र की आवश्यकता पड़ती है, तो किसानों उसे सब्सिडी पर खरीद सकते हैं।